पिता मुख्तार अंसारी की कब्र पर ‘फातिहा’ पढ़ सकेंगे अब्बास अंसारी, इन शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाज़त

0
30

द लीडर हिंदी : सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी को तीन दिन के लिए राहत दी है. मुख्तार अंसारी की याद में 10 अप्रैल को होने वाले ‘फातिहा’ में अब्बास अंसारी शामिल हो सकेगें. सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को अपने पिता मुख्तार अंसारी की कब्र पर फातिहा पढ़ने की इजाजत दी. अब्बास 10 अप्रैल को मुख्तार अंसारी की कब्र पर फातिहा पढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा पूरी सुरक्षा के बीच अब्बास अंसारी को लाया जाए.

अब्बास अंसारी मऊ की जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अब्बास अंसारी को पर्याप्त सुरक्षा के साथ पुलिस हिरासत में कासगंज जेल से उनके गृहनगर गाज़ीपुर ले जाया जाए.सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अब्बास अंसारी को 13 अप्रैल तक कासगंज जेल वापस लाया जाएगा.इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं.

अब्बास को मंगलवार शाम को पांच बजे से पहले सड़क मार्ग से कासगंज से गाजीपुर के लिए रवाना किया जाएगा. जबकि बुधवार को फातिहा पढ़ने के बाद उन्हें गाजीपुर जेल में रखा जाएगा. जानकारी के मुताबीक आज शाम 5 बजे से पहले अब्बास को कासगंज से गाजीपुर ले जाया जाएगा. अब्बास बुधवार 10 अप्रैल को कब्र पर फातिहा पढ़ेगा. फैसला सुनाते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के वी विश्वानाथन ने कहा हमने नोट में दिए गए कथनों पर ध्यान दिया है. याचिकाकर्ता ने 28 मार्च को अपने पिता को खो दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई ये शर्त
अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि वो आज शाम 5 बजे से पहले अपनी यात्रा शुरू करे. भले ही 10वीं के बाद कोई अनुष्ठान न हो, अब्बास को 11वीं और 12वीं तारीख को अपने परिवार व रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी जाए. पुलिस अधिकारी मिलने वालों की तलाशी लें और सुनिश्चित करें कि कोई हथियार न ले जाए. अदालत ने कहा अब्बास इस दौरान मीडिया में कोई भी बयान नहीं देगा. अंतरिम राहत के दौरान अब्बास कोई मीटिंग और इंटरव्यू नहीं देंगे

नहीं मिल सकी थी पैरोल
बताते चलें कि मुख्तार की मौत के बाद अब्बास उनके जनाजे में नहीं शामिल हो सके थे. मुख्तार के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल ने कहा था कि वो अब्बास को पैरोल नहीं बल्कि रेगुलर बेल दिलवाने की कोशिश करेंगे. जब मुख्तार की मौत हुई तो हमने अब्बास को पैरोल दिलवाने की कोशिश की थी. मगर, तब जज कोर्ट में नहीं थे. इस कारण पैरोल नहीं मिल सकी.

ये भी पढ़ें-https://theleaderhindi.com/rahul-gandhi-tasted-mahua-stopped-the-convoy-and-talked-a-lot-with-tribal-women/