वॉशिंगटन/ लंदन।
कोरोना से लड़ने की लिए दुनिया के वैज्ञानिक नए हथियार खोजने में लगे हैं। वैक्सीन के बाद अमेरिका में माइक्रोचिप तैयार हुई है और ब्रिटेन के नोज़ल स्प्रे की भी खूब चर्चा है।
पेंटागन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी माइक्रोचिप बनाई है, जो संबंधित व्यक्ति को पहले ही अलर्ट कर देगी कि वो कोरोना संक्रमित हो सकता है। इस चिप को त्वचा के अंदर फिट किया जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस माइक्रोचिप की बदौलत कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है।
कोरोना के सबसे आम लक्षण हैं खांसी, बुखार और स्वाद एवं गंध का गायब हो जाना, लेकिन इसके अलावा सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण भी कोरोना हो सकते हैं। कई लोगों में तो बिना कोई लक्षण नजर आए भी कोरोना हो जाता है. ‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना के संक्रामक रोग चिकित्सक मैट हेपबर्न ने कहा कि यह डिवाइस टिश्यू-जैसी जैल है, जो शरीर में फिट किए जाने के बाद आपके ब्लड को लगातार टेस्ट करती रहेगी।
मैट हेपबर्न ने बताया कि चिप संबंधित व्यक्ति को अलर्ट करेगी कि उसके शरीर के अंदर रासायनिक प्रतिक्रियाएं चल रही हैं और कल तक उसमें लक्षण नजर आने लगेंगे। ऐसे में व्यक्ति को कोरोना से बचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा।
हेपबर्न ने बताया इस डिवाइस का इस्तेमाल हाल ही में एक मरीज पर किया गया था, जिसे सेप्टिक शॉक और ऑर्गन फेलियर के चलते आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने आपातकालीन उपयोग के लिए इस डिवाइस को अधिकृत किया है और अब तक इसका उपयोग 300 रोगियों के इलाज के लिए जा चुका है। हालांकि, माइक्रोचिप के बारे में WHO ने अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इसके इस्तेमाल को भी मंजूरी मिल सकती है।
‘सैनोटाइज’ नेजल स्प्रे
ब्रिटेन में हुए क्लीनिकल ट्रायल में नेजल स्प्रे ‘सैनोटाइज’ से कोरोना के बेहतर ढंग से इलाज में कामयाबी मिली है।
ट्रायल में पाया गया कि सैनोटाइज के इस्तेमाल से कोरोना रोगी में वायरस का असर 24 घंटे में 95 फीसदी और 72 घंटे में 99 फीसदी तक घट गया। यह क्लीनिकल ट्रायल बॉयोटेक कंपनी सैनोटाइज रिसर्च एंड डेवलपमेंट कार्पोरेशन और ब्रिटेन के एशफोर्ड एंड पीटर्स हॉस्पिटल्स ने किया है। पिछले शुक्रवार को इसके एक और ट्रायल के नतीजों का एलान किया गया। इन नतीजों से संकेत मिला है कि सैनोटाइज, जो कि नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (एनओएनएस) है, एक सुरक्षित व प्रभावी एंटी वायरल उपचार है। यह वायरस का संक्रमण रोक सकता है और इसकी मियाद भी कम कर सकता है। यह वायरस की तीव्रता कम कर सकता है और जो पहले से संक्रमित हैं, उनमें नुकसान को कम कर सकता है।
ट्रायल के दौरान नेजल स्प्रे के इस्तेमाल से मरीजों में सॉर्स-कोव-2 वायरस लॉग का लोड कम हुआ। पहले 24 घंटे में औसत वायरल लॉग घटकर 1.362 रह गया। इस तरह 24 घंटे बाद वायरल लोड करीब 95 फीसदी तक कम हो गया और 72 घंटे में वायरल लोड 99 फीसदी से ज्यादा घट गया। परीक्षण में शामिल मरीजों में से अधिकांश कोरोना के यूके वेरिएंट से संक्रमित थे। यह कोरोना स्ट्रेन घातक माना जाता है। अध्ययन में कोई साइड इफैक्ट नहीं देखा गया।
कोरोना वायरस का लोड कम करने के लिए एनओएनएस एकमात्र नोवल थैरापेटिक ट्रीटमेंट या चिकित्सकीय उपचार है। यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार नहीं है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज विशिष्ट व महंगा उपचार है, जो कि अस्पतालों में भर्ती होने के बाद नसों में इंजेक्शन के साथ ही किया जा सकता है।