द लीडर हरिद्वार।
संत हों या नेता, अफसर हों या स्वयं सेवक , स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत सबको तारणहार लगते हैं। दो दिन प्रवास पर हरिद्वार आये भागवत ने सबकी पीड़ा सुनी । किसी को परामर्श दिया किसी से फीड बैक लिया, किसी की बात पर मुस्करा दिये तो किसी को भरोसा भी दे गए।
जूना अखाड़े से ही उत्तराखंड में सियासी भूचाल की लहर उठी थी। स्वामी अवधेशानंद के साथ उनका सत्संग हुआ। त्रिवेंद्र भी हटाये जाने के बाद सबसे पहले वहीं गए थे। कल सुबह तो एक कार्यक्रम में विशेष अतिथि बनकर गए त्रिवेंद्र को भी उनसे अपनी बात कहने का मौका मिला। सिंधी भक्तों द्वारा तैयार घाट के उद्घाटन में तो उन्हें जान ही था। कई अखाड़ों के महंत भी मिलना चाहते थे। पतंजलि और गायत्री वाले भी। संघ की टीम को कुम्भ में विशेष जिम्मेदारी दी गई है तो संगठन से विमर्श हुआ।
सुबह गंगा घाट पर कड़ी सुरक्षा में डुबकी लगा कर जल अर्पित किया।
देवभूमि में हकहकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल के नेतृत्व में सोमवार को तीर्थ पुरोहितों ने हरिद्वार स्थित पावन कृष्ण धाम में उनसे भेंट की। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें आगामी यात्रा काल में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री आने का न्योता दिया। तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमंडल ने देवस्थानम बोर्ड भंग करने से संबंधित एक ज्ञापन सरसंघचालक को प्रेषित किया ।
संघ प्रमुख ने तीर्थ पुरोहितों को भरोसा दिलाया कि देवस्थानम बोर्ड से संबंधित विषय पर जल्दी ही कोई निर्णय लिया जाएगा। सूूत्र बता रहे हैं एक हफ्ते में इस बारे में शसनादेश जारी हो जााएगा। सियासी समीकरणों पर उन्होंने किसी को आश्वासन नहीं दिया है।