द लीडर : जातिगत मतगणना के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आक्रामक रुख अख्तिार किए है. बुधवार को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ये मुद्दा उठाया. उनका आरोप है कि, ”केंद्र सरकार देश के 70 प्रतिशत पिछड़ों और अति-पिछड़ों को उनके अधिकारों से वंचित रखना चाहती है. क्या भाजपा इस 70 फीसदी आबादी को हिंदू नहीं मानती है?” (Tejashwi BJP Backward Hindu )
सदन में जातिगत मतगणना को लेकर तेजस्वी ने सुझाव दिया. याद दिलाते हुए कि इससे पहले भी दो मर्तता ये सदन सर्वसम्मति से जातिगत मतगणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित कर चुका है. जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया. लेकिन कुछ नहीं हुआ. क्या ये लोकतंत्र के मंदिर का अपमान नहीं है.
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हमने दो बार सर्वसम्मिति से बिहार विधानसभा से जातिगत जनगणना का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है लेकिन केंद्र सरकार जातीय गणना नहीं कराना चाहती?केंद्र सरकार देश के 70%पिछड़ों/अतिपिछड़ों को उनके अधिकारों से वंचित क्यों रखना चाहती है?क्या BJP इस 70%आबादी को हिंदू नहीं समझती? pic.twitter.com/Bw9CTIZheQ
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 28, 2021
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विधानसभा सदस्यों की एक कमेटी बनाएं. जो इस मसले को लेकर केंद्र सरकार से मिले. और मांग रखे कि जातिगत मतगणना कराई जाए.
इससे पहले आरजेडी के सांसद मनोज झा ने नीट में ओबीसी आरक्षण को दरकिनार किए जाने का मुद्दे पर संसद के शून्यकाल में अपनी बात रखने के लिए वक्त मांगा था.
राजद ने ये ऐलान किया है कि पार्टी पिछड़ों के अधिकारों की लड़ाई, सड़क से संसद तक लड़ेगी. आरोप लगाया कि बीजेपी-जेडीयू सरकार नीट में पिछड़ों की 14 हजार सीटें खा गई.
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तेजस्वी यादव ने एक अन्य बयान में कहा कि राजद पिछड़े वर्गों की सामाजिक और शैक्षिक तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है. हम केंद्र सरकार को पिछड़ों की हकमारी नहीं करने देंगे.
बहुमत के घमंड में चूर सरकार याद रखे, इस देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 70 प्रतिशत के करीब है. केंद्र को नीट में आरक्षण लागू करना होगा और जातिगत मतगणना भी करानी होगी.
मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा में ओबीसी आरक्षण का लाभ न दिए जाने को लेकर काफी हंगामा मचा है. राजद के अलावा दूसरे विपक्षी दल भी इस मुद़्दे पर एकजुट हैं. और सरकार को घेराबंदी में लगे हैं.
राजद का आरोप है कि भाजपा पिछड़ों और अति-पिछड़े हिंदुओं के सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक, सामाजिक और बराबरी के बारे में नहीं सोचती है.
बल्कि वह तमाम सामाजिक समूहों के बीच असमानता और बंटवारे वाली नीतियां बनाती. ताकि बहुसंख्यक समाज को उनके हक से वंचित कर, हाशिये पर रखा जा सके. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.