नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खिलाफ देश में जारी जंग में अब एक और हथियार मिल गया है. कोरोना को मात देने में कारगर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी यानी कॉकटेल ड्रग्स का भारत में इस्तेमाल शुरू हो गया है.
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कोरोना मरीजों पर 70 फीसदी तक असर करती है दवा
स्विट्जरलैंड की ड्रग कंपनी रोशे और सिप्ला ने इसे भारत में लॉन्च किया था. इस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को लेकर दावा है कि, अगर किसी कोरोना मरीज को ये दिया जाता है, तो ये 70 फीसदी तक असर करता है.
कैसे काम करती है ये कॉकटेल?
दरअसल, ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दो दवाइयों का मिक्सचर है जो कोरोना से लड़ने में किसी मरीज की शक्ति को बढ़ाती है. इसमें कासिरिविमाब और इम्देवीमाब दवाई शामिल हैं. इन दोनों दवाओं के 600-600 MG मिलाने पर ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा तैयार की जाती है.
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एंटीबॉडी कॉकटेल वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये दवा कोरोना वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता, इस तरह ये दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है.
कैसे दी जाती है ये दवाई?
एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर ही है, इसे किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक, ये दवाई देने में 20 से 30 मिनट का वक्त लगता है. दवाई के बाद किसी भी मरीज़ को कुछ देर एहतियात के तौर पर निगरानी में रखा जाता है, जिस तरह वैक्सीन के वक्त होता है.
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भारत में कैसे मिलेगी ये कॉकटेल दवाई?
भारत में अभी इस दवाई की सप्लाई का जिम्मा सिप्ला कंपनी के पास है. ये दवाई अभी चिन्हित शहरों में मिल रही है, वो भी किसी-किसी अस्पताल में उपलब्ध की जा रही है. जैसे-जैसे इसका उपयोग शुरू होगा तो प्रोडक्शन को बढ़ाया जाएगा. सिप्ला के अलावा Zydus कंपनी ने भी इस एंटीबॉडी कॉकटेल के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी है.
डोनाल्ड ट्रंप को दिया गया था दवाईयों का कॉकटेल
इस दवा का कितना महत्व है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब कोरोना की चपेट में आए थे, तब उन्हें इन्हीं दवाईयों का कॉकटेल दिया गया था.