पंचायत चुनाव : हार से बौखलाए प्रत्याशियों ने फैलवाई अफवाह-प्रधान की दावत के लिए गौवंश की हत्या, पुलिस जांच में पकड़ा गया झूठ

द लीडर : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में हार-जीत की रंजिश समाज में वैमनस्य पैदा करके हिंदू-मुस्लिम फसाद भड़काने की हद तक जा पहुंची है. पीलीभीत जिले के पूरनुपर तहसील की एक घटना इसकी बानगी है. जहां हारे हुए प्रत्याशियों ने कुछ कथित पत्रकार और सिपाहियों की मदद से ”प्रधान की दावत के लिए गौकशी” की अफवाह फैलाकर हिंदू समाज की भावनाएं भड़काने की साजिश रची. गनीमत रही कि पुलिस के आला अधिकारियों ने घटना का तत्काल संज्ञान लेकर गंभीरता से जांच कराई, तो ये दावत का नहीं बल्कि चुनावी रंजिश का निकला. बहरहाल, इस षड्यंत्र में शामिल जिन सिपाहियों ने अपने ही मकहमे की समाज में धज्जियां उड़वा दीं है, उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.

घटनाक्रम पूरनपुर क्षेत्र के ग्राम जादौपुर गहलुईया का है. करीब 5000 की आबादी वाला ये गांव मुस्लिम बहुल है, जो असम हाईवे से कोई तीन किलोमीटर दूर आबाद है. ग्रामीण आमिर खान बताते हैं कि चार-छह बस्तियां एससी समाज के लोगों की हैं. और आस-पास के सभी गांव हिंदू बहुल हैं. 16 मई को सोशल मीडिया पर ये अफवाह फैली कि प्रधान ने ”दावत के लिए गौकशी कराई.” ये खबर बड़ी तेजी से वायरल हुई.

गांव में प्रधान के यहां बंधी गाय, जिसकी वीडियोग्राफी पुलिस के पास मौजूद है. फोटो-द लीडर

ये एक ऐसी अफवाह थी जिससे हिंदू-मुस्लिम फसाद होने की पूरी संभावना थी. हालांकि आस-पास के हिंदू बहुल ग्रामीणों के यहां से अच्छे रिश्ते हैं. इसलिए यहां विवाद बच गया.


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ग्रामीण नूरुद्दीन खान कहते हैं कि गहलुईया के पूर्व प्रधान हसीनुर्रहमान हैं. जोकि इस बार चुनाव लड़े थे. तीसरे प्रत्याशी ताज मुहम्मद थे. इन दोनों प्रत्याशियों को 23 साल के मुहम्मद इमरान खान ने करीब 300 मतों से हराकर चुनाव में विजयी हासिल की थी. चुनाव में हार की खीच से ये सारे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं.

ग्राम प्रधान इमरान खान जोकि उच्च शिक्षित हैं. उन्होंने नेशनल एमसीए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (NIMCET) की प्रवेश परीक्षा में ऑल इंडिया 184 रैंक हासिल कर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) किया है.

इमरान बताते हैं कि पिछले एक साल से कोरोना के कारण गांव में ही हैं. यूनिवर्सिटी भी बंद है और इंटर्नशिप भी नहीं हुई. पंचायत चुनाव नजदीक आए तो गांव वालों ने उन्हें न सिर्फ प्रत्याशी बनाया बल्कि चुनाव में जीत भी दिलवा दी. लेकिन गांव की राजनीति में विपक्षी प्रत्याशी और उनके कथित दलाल इस हद तक गिर सकते हैं. इस बात का अंदाजा नहीं था.

ग्राम प्रधान इमरान खान

वह कहते हैं कि 16 मई को मेरे घर पर कोई दावत नहीं थी. कोरोना महामारी फैली है. देश-राज्य में मौतें हो रही हैं. ऐसी हालत में दावत करके भीड़ जुटाने की मैं सोच भी नहीं सकता हूं. अभी शपथ नहीं हुई है. लेकिन गांव में संक्रमण न फैले. इसके लिए पूरे गांव को सैनेटाइज करा चुका हूं. नियमित सफाई जारी है. आंगनबाड़ी के साथ बैठक कर बाहर से आने वालों पर नजर रखने का निर्देश दिया है. एक तरफ मैं गांव को इस महामारी से बचाने और शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई में जुटा हूं. तो दूसरी ओर विपक्ष गौवंश के वध जैसी अफवाहें फैलाकर हिंदू-मुस्लिम दंगा भड़काने की कोशिश में जुटा है. ये हद दर्जे की घिनौनी राजनीति है. जिसे पूरा गांव जानाता है. आप किसी से भी जानकारी ले सकते हैं.


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इस खेल में कुछ कथित पत्रकार भी शामिल हैं. जिनके खिलाफ मैं कोर्ट में जाऊंगा. इमरान कहते हैं कि मैंने देश के नामचीन संस्थान से एमसीए किया है. न्यूतम 10-15 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिल जाएगा, जोकि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पासआउट एमसीए छात्रों का औसत पैकेज है. मैं ऐसे गौवध जैसे किसी आपराधिक, घिनौने काम को कैसे बढ़ावा दे सकता हूं. बल्कि मेरी कोशिश है कि गांव को हर तरह के अपराध से मुूक्त कराऊं.

इमरान कहते हैं कि मेरे खिलाफ जो साजिश रची गई. उससे पूरे गांव के लोगों में गुस्सा है. इसलिए क्योंकि इन्होंने पूरे गांव और मुस्लिम समाज को बदनाम किया है. ये एक आपराधिक कृत्य है. ये लड़ाई मैं कोर्ट तक लड़ूगा.

दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक कर रहे ग्रामीण तौफीक खान कहते हैं कि राज्य की राजनीति में भाजपा पर बेशक ये आरोप लगते हों कि वो मुसलमानों के साथ भेद करती है. लेकिन हकीकत ये है कि दूसरी पार्टियां भाजपा से ज्यादा जुल्म करती हैं. मुसलमानों को राजनीतिक अछूत समझजते हुए ऐसी पार्टियों के नेता उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाते हैं. उनसे दलाली करते. बाद में भाजपा का भय दिखाकर वोट भी लेते हैं.


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तौफीक कहते हैं कि इस पूरे गौवध की अफवाह के कर्ता-धर्ता समाजवादी पार्टी के कथित नेता हैं. गौवध एक ऐसा आरोप है, जिस पर कोई भी हिंदू भाई आसानी से भरोसा कर सकते हैं. इसलिए ऐसा घिनौना आरोप लगाकर बदनाम किया गया. वह सवाल उठाते हैं कि प्रधान को नीचा दिखाने के लिए पूरे गांव की बदनामी कर डाली? क्या यही राजनीति का स्तर बचा है. इस घटना से आगामी विधानसभा चुनाव में केवल गहलुईया में ही नहीं बल्कि दस किलोमीटर के दायरे में आबाद मुस्लिम गांवों में सपा को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.

तौफीक कहते हैं कि गांव में गौवध किसी भी स्तर पर नहीं होना चाहिए. और पुलिस को ऐसे अपराधियों को चिन्हित करके सख्त चेतावनी देनी चाहिए.

पुलिस ने जो गाय सुपुर्दगी में दो वो सुरक्षित हमारे घर

कुछ दिन एक गाय गांव में पहुंची थी. जिसे पुलिस ने हाफिज सितारुद्दीन खान के सुपुर्द किया था. हाफिज सितारुद्दीन बताते हैं कि गाय हमारे घर पर सुरक्षित है. लेकिन अफवाह ये फैलाई गई कि पुलिस ने 14 गांव अभिरक्षा में दी थीं और उनका वध कर दिया गया है. ये सारे आरोप निराधार हैं. राजनीतिक द्वेश में गांव की बदनामी ही नहीं की गई बल्कि समाज में हिंसा भड़काने का भी प्रयास किया गया है. और मैं ये अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ मानहानि का केस करूंगा.

पूरनपुर में पंचायत चुनाव की मतगणना के दिन एक फौजी के साथ पुलिस पर मारपीट के आरोप लगे थे. ये वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की काफी आलोचना हुई. हालांकि इसकी जांच जारी है और कई आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. इसी बीच प्रधान की दावत वाली अफवाह से पुलिस की छवि को गहरा धक्का लगा है.

 

Ateeq Khan

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