नई दिल्ली । पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने लगे हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सारी ताकत झोंकने के बावजूद बीजेपी ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाने का लक्ष्य पाती नहीं दिख रही है. रुझानों के हिसाब से टीएमसी ने 190 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली है, जबकि BJP 97 सीटों पर अटक गई है. चुनावी विश्लेषकों की मानें तो ‘बंगाल की बेटी’ ममता बनर्जी की तेजतर्रार छवि, बंगाली अस्मिता, महिलाओं और अल्पसंख्यकों का टीएमसी की ओर बड़ा झुकाव का सीधा फायदा तृणमूल को मिला. चुनाव आयोग समेत केंद्रीय एजेंसियों की चुनाव के दौरान जरूरत से ज्यादा दखल बीजेपी के खिलाफ गया.
पश्चिम बंगाल में तीसरी बार ममता बन सकती है मुख्यमंत्री
पश्चिम बंगाल में आज विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। अभी तक के रुझानों में तृणमूल कांग्रेस ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। टीएमसी फिर से बंगाल में जीत की हैट्रिक लगाती दिख रही है, जबकि भाजपा की 100 के नीचे ही रुकती दिख रही है। पश्चिम बंगाल का चुनाव इस बार काफी रोचक रहा। पहली बार टीएमसी की सीधे भाजपा से टक्कर हुई। शुरूआती रुझानों में ममता की टीएमसी की जीत लगभग तय है। अगर ये रुझान नतीजों में तब्दील हो जाते हैं तो 66 साल की ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बन सकती है। हालांकि, ममता अभी नंदीग्राम सीट से अपने प्रतिद्वंदी शुभेंदु अधिकारी से पीछे चल रहीं हैं। ममता ने 20 मई 2011 को पहली और 27 मई 2016 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
पश्चिम बंगाल में कौन कितने सीट पर आगे
भाजपा- 77 सीटों पर आगे
टीएमसी- 202 सीटों पर आगे
कांग्रेस+ 4 सीट पर आगे
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी को दी बधाई
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रुझानों में टीएमसी की जीत पर अखिलेश यादव ने बीजेपी पर कसा तंज
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कोलकाता में भाजपा मुख्यालय के बाहर जुटे टीएमसी समर्थक
रुझानों में बढ़त के साथ तृणमूल कांग्रेस के कई समर्थक कोलकाता में भाजपा मुख्यालय के बाहर जुटे हुए दिखाई दिए। बता दें कि टीएमसी 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
#WATCH Trinamool Congress supporters in large numbers gathered outside the BJP office in Kolkata's Hastings area, as TMC leads in 200 plus seats #WestBengalElections pic.twitter.com/KywRZVoq2v
— ANI (@ANI) May 2, 2021
आसनसोल में टीएमसी समर्थकों का जश्न
बंगाल के आसनसोल में टीएमसी समर्थकों ने सड़कों पर उतर जश्न मनाया। इस दौरान कई समर्थकों की भीड़ जुटती हुई नजर आई। वहीं आसनसोल में पुलिसकर्मी ने समर्थकों को जश्न ना बनाने के निर्देश भी दिए।
#WATCH | A police personnel instructs TMC supporters to stop celebrations in Asansol
EC asks States/UTs to "prohibit victory celebrations urgently", also directs that responsible SHOs/officers must be suspended immediately and criminal& disciplinary actions must be initiated pic.twitter.com/QUuVO3CrzV
— ANI (@ANI) May 2, 2021
बंगाल में ममता ने कैसे खींची PM मोदी और अमित शाह के आगे लंबी लकीर?
- दीदी की घायल शेरनी की छवि
बीजेपी की भारीभरकम चुनावी मशीनरी का अकेले मुकाबला कर रहीं ममता बनर्जी का नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल हो जाना निर्णायक बातों में एक रहा. ममता बनर्जी ने चोट के बावजूद व्हीलचेयर पर जिस तरह से लगातार धुआंधार प्रचार किया और बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ आक्रामक हमला बोला. उससे यह छवि बनी कि घायल शेरनी ज्यादा मजबूती से मोर्चा संभाले हुए हैं. ऐसे में सहानुभूति की फैक्टर उनके पक्ष में गया.
- महिलाओं, मुस्लिमों, बांग्ला मानुष पर अपनी पकड़ बरकरार रखने में ममता कामयाब
तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी की ध्रुवीकरण की कोशिश की काट करने के लिए ‘बंगाल को चाहिए अपनी बेटी’ का नारा देकर महिला वोटरों को बड़े पैमाने पर अपने पाले में खींचा. बीजेपी के पास न तो मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा था और ना ही कोई तेजतर्रार महिला नेता जो ममता को उनकी शैली में जवाब दे पाता. ममता अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के बीच भरोसा कायम रखने में कामयाब रहीं कि बीजेपी को कोई रोक सकता है तो वो टीएमसी है.
मुस्लिमों ने भी लेफ्ट-कांग्रेस के साथ शामिल इंडियन सेकुलर फ्रंट की जगह बीजेपी को हराने के लिए एकतरफा टीएमसी के लिए वोट किया. इससे वोटों के बंटवारे की विपक्ष की रणनीति धरी की धरी रह गई. बीजेपी के बाहरी नेताओं के ममता बनर्जी पर सीधे हमले के मुद्दे को भुनाते हुए टीएमसी ने बांग्ला संस्कृति, बांग्लाभाषा और अस्मिता के फैक्टर को हर जगह उभारा. ममता ने 50 महिला उम्मीदवारों को इसी रणनीति के तहत मैदान में उतारा था.
- दलितों-पिछड़ों के बीच BJP का पूरी पकड़ न बन पाना
बीजेपी ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को साथ लाकर हिन्दू वोटों एक साथ लाने की कोशिश की. मातुआ समुदाय को पूरी तरह से बीजेपी साथ नहीं ला पाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव के बीच बांग्लादेश जाना और मातुआ समुदाय से जुड़े मंदिर में जाना भी काम नहीं आया. राजबंशी और अन्य पिछड़े समुदायों के वोटों में टीएमसी ने बड़ा हिस्सा झटक लिया. दलितों-पिछड़ों के लिए कल्याणकारी योजनाओं से भी ममता सत्ता विरोधी लहर को काबू में रखने में कामयाब रहीं.
आठ चरणों में 81.76 फीसद मतदान
चुनाव में शुरू से लेकर अंत तक जमकर हिंसा देखने को मिली। एक दर्जन से अधिक लोगों की जानें गई। हिंसा की वजह से पांचवें दौर और कोरोना महामारी के कारण आखिरी के तीन चरणों में चुनाव प्रचार को मतदान से 72 घंटे पहले ही बंद करना पड़ा। इसके बावजूद बंगाल के मतदाताओं ने जमकर मतदान किया। हालांकि, कोलकाता समेत कुछ और शहरी इलाकों के लोगों ने उस हिसाब से मतदान में भाग नहीं लिया जैसा ग्रामीण इलाकों में दिखा। बावजूद इसके आठ चरणों में बंगाल में 81.76 फीसद मतदान हुआ। दो सीटों शमशेरगंज और जंगीपुर में के लिए मतदान 16 मई को होना है।
आज ही उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत के चुनावी नतीजों की भी हो रही मतगणना
गौरतलब है कि देश में जारी कोरोना महामारी के बीच आज पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव के परिणाम भी आज ही घोषित किए जा रहे हैं।