नई दिल्ली: भारत और अमेरिका यानी AI की गहराती दोस्ती से चीन काफी हताशा में हो गया है। सोमवार को एक बयान में चीन ने क्षेत्रीय देशों को ‘आपसी विश्वास’ की दुहाई दे रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि ‘दो देशों के बीच सहयोग का निशाना कोई तीसरा देश नहीं होना चाहिए, न ही किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान होना चाहिए।’ उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा पर हुए सौदों पर सवाल पूछा गया जिस पर चीन ने कहा कि ‘हमें उम्मीद है कि संबंधित देश क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के मामले में क्षेत्रीय देशों के बीच आपसी विश्वास के अनुकूल काम करेंगा।
एक तरफ चीन का विदेश मंत्रालय ‘आपसी विश्वास’ की अपील कर रहा था, तो वहां के सरकारी मीडिया का लहजा धमकाने वाला था। ग्लोबल टाइम्स अखबार ने शनिवार को एक संपादकीय में लिखा कि अमेरिका ने चीन के ‘पड़ोसी क्षेत्र’ में जो दांव चला है, वह फेल हो जाएगा। GT ने लिखा कि ‘भारत अपनी गरिमा के खिलाफ जाकर अमेरिकी मोहरा बन रहा है। भारत और अमेरिका ने हाल ही में अहम डिफेंस और कॉमर्स डील्स पर मुहर लगाई है। इनमें लड़ाकू विमानों के लिए F-414 जेट इंजनों के जॉइंट प्रोडक्शन और आर्म्ड ड्रोन (MQ-9B) की खरीद शामिल है।
चीन का यह लंबे समय से रुख रहा है कि राष्ट्रों के बीच सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करने के लिए नहीं होना चाहिए। साथ ही, किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए या किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। माओ निंग, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत चल रही है। सिंह ने जम्मू में कहा, ‘मैं दोहराना चाहता हूं कि 2013 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ गतिविधियां हुई हैं, लेकिन मैं इन दावों को सिरे से खारिज करता हूं कि हमारी सरकार बनने के बाद एलएसी पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव या अतिक्रमण हुआ है।’ उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत चल रही है। हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम भारत की सीमा, उसके सम्मान और स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करेंगे।’