तो अब नहीं बन पाएंगे भाजपा विधायक सुरेश राठौर महामंडलेश्वर

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ज्योति एस हरिद्वार

पिछले साल अपने ही विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम इलाकों को पाकिस्तान बता कर विवादों में रहे भाजपा विधायक पिछले दिनों हरिद्वार में शक्ति प्रदर्शन के बावजूद अब महामंडलेश्वर नहीं बन पाएंगे।
विधायक ने अपने समुदाय के लोगों औऱ पार्टी में अपनी पहुंच का अहसास करा कर श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी का महामंडलेश्वर  बनने  की बात मानव ली थी। अखाड़ा परिषद ने भी दबाव में आकर दे दी थी, जैसा कि राधे मां के मामले में हुआ ।

इस बीच भाजपा, संघ और विहिप की प्रतिक्रियाएं भी मिली। धर्म का एक बार फिर उपहास न हो इसलिए इस पर विचार किया गया।
बहरहाल सुरेश राठौर को अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने के निर्णय को वापस ले लिया गया है। अखाड़े के वरिष्ठ महंतऔर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और सचिव  महंत रविंद्र पुरी ने पत्रकारों के पूछने पर इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जब उन्हें महामंडलेश्वर बनाने की बात तय हुई थी तो उन्हें बताया गया था कि महामंडलेश्वर बनने के संन्यास लेना जरूरी है। तब वह इसके लिए राजी हो गए थे। पर, बाद में उन्होंने ऐसा करने से इंकार दिया। वह गृहस्थ ही रहना चाहते हैं।  गृहस्थ रहते हुए व्यक्ति का अखाड़े में शामिल होना और महामंडलेश्वर बनना नामुमकिन है। इसलिए अखाड़े के पंचपरमेश्वरों ने विचार कर निर्णय लेते हुए यह फैसला लिया।

ज्वलापुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक को महामंडलेश्वर बनाने का शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी विरोध किया था और इसे अखाड़ा परंपरा के खिलाफ बताया था। मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती ने भी इस फैसले को गलत बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी थी, हालांकि निरंजनी अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर बनने के संन्यास ग्रहण करने के साथ ही अन्य सभी आवश्यक प्रक्रिया पूरा करने को कहा था पर, बाद में सुरेश राठौर ने सन्यास दीक्षा लेने से साफ इंकार कर दिया।

राठौर गृहस्थ हैं और उनका पत्नी-तीन बच्चों समेत भरा-पूरा परिवार है। अखाड़ा परंपरा में महामंडलेश्वर सिर्फ उसी को बनाया जाता है जो संन्यास दीक्षा लेता है और घर-परिवार से सभी तरह के रिश्ते हमेशा के लिए तोड़ देता है।
इस बाबत् भाजपा विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि फिलहाल मुझे निरंजनी अखाड़े के इस फैसले की जानकारी नहीं। मुझे निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्र्वर बनाने के फैसले से मेरे समर्थक खुश हैं और इसके बाद हमने पेशवाई भी निकाली थी। कुछ संत इस फैसले से नाराज हैं पर, मुझे उम्मीद है कि समस्या का समाधान हो जायेगा। और मैं जल्द ही मैं निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्र्वर बन पाऊंगा। सुरेश राठौर रविदासाचार्य भी है और बतौर रविदासाचार्य देश के अलग-अलग इलाकों में जाकर रविदास कथा का पाठ भी करते हैं।

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