द लीडर हिंदी : शाहजहांपुर में जलालाबाद से आकर आंवला के सांसद बने नीरज मौर्य बरेली में भी हाथ दिखा रहे हैं. उन्होंने अचानक बरेली के 300 बेड अस्पताल पर छापा मारा. अखिलेश यादव के सीएम रहते 73.81 करोड़ की लागत से इस बड़े अस्पताल के भवन को देखा. व्यवस्थाएं चेक कीं. जगह-जगह कमरों में पानी टपकता मिला. साफ-सफाई नहीं थी और उपकरण धूल फांक रहे थे. सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह से फोन पर बात की. अस्पताल की बदहाली को लेकर शिकवा जताया. यह सवाल भी किया कि आख़िर इस बड़े अस्पताल को एक्टिव क्यों नहीं किया जा रहा है. फिर वहां मौजूद लोगों से मुख़ातिब हुए और मीडिया को भी बयान दिया. वही द लीडर हिंदी ने फोन पर जब आंवला सांसद से बात की तो उनका साफ कहना है कि जनता ने बहुत उम्मीदों से जिताया है. सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल होने से पब्लिक निराश है. ऐसे में बतौर जनप्रतिनिधि हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम जनता की राहत को दिलाने के लिए काम करें.
बरेली में इतना बड़ा अस्पताल मौजूद है. यहां मंडल के मरीज़ों का इलाज हो सकता है. लेकिन इसकी फिक्र सरकार और न सरकार चलाने वाली पार्टी के नेताओं को है. उन्हें ग़रीब मरीज़ों के दर्द का अहसास नहीं है. अगर होता तो अब तक 300 बेड के इस अस्पताल को वैसे ही संचालित कर दिया गया होता, जिस सोच के साथ समाजवादी पार्टी की सरकार ने इसका निर्माण कराया था. वो यह भी कहते हैं कि बरेली ही नहीं देश में जहां भी स्वास्थ्य सेवाएं चेक करनी पड़ीं, वहां जा सकता हूं. कुल मिलाकर देखें तो आंवला सांसद नीरज मौर्य का शिकवा सही है. इतनी बड़ी लागत से बना 300 बेड का अस्पताल वीरान है. देखभाल के अभाव में भवन टपकने लगा है. बेड ख़राब हो रहे हैं. वेंटीलेटर जैसे उपकरण धूल फांक रहे हैं. दूसरी तरफ ज़िला अस्पताल मरीज़ों से ओवरलोड है. अब आपको यह भी बता देते हैं कि 73.81 करोड़ रुपये की लागत से इस अस्पताल में क्या-क्या बनाया गया है. 4 माड्यूलर ओटी, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के 4 कक्ष हैं. चिकित्सा अधिकारी के 20 कक्ष, प्रथम श्रेणी के 30 आवास, द्वितीय श्रेणी के 36 आवास, तृतीय श्रेणी के 4 आवास और 4 लिफ्ट लगाई गई हैं. इसके अलावा एसी सिस्टम, मेडिकल गैस पाइप लाइन सिस्टम, 125 केवीए ट्रांसफार्मर, ओपीडी, रेडियोलाजी, फीमेल इमरजेंसी भवन, डेड हाउस, मार्च्युरी, गैराज, पैशेंट रिलेशन शेड, पंप हाउस, नर्स हास्टल, ओवरहेड टैंक और ट्यूबवेल वग़ैरा.