समाजवादी पार्टी ने फिरोजाबाद से मशरुर फातिमा, सहारनपुर से नूर हसन मलिक, अलीगढ़ से जमीर उल्ला खां और मुरादाबाद से सैय्यद रईस उद्दीन को मेयर का उम्मीदवार बनाया है साथ ही पार्टी ने केवल एक यादव को टिकट देकर अपने कोर वोटर्स के साथ अन्य जातिगत समीकरणों को जोड़ने पर जोर दिया है। सपा ने केवल गाजियाबाद से यादव के मेयर का टिकट दिया है।
इसी को देखते हुए मायावती ने अखिलेश यादव के समीकरण को बिगाड़ने और अपना जनाधार बढ़ाने के लिए निकाय चुनाव में बड़ा दांव चला है। बसपा ने 17 मेयर उम्मीदवारों में से 11 टिकट मुस्लिमों को दिए हैं। पार्टी ने पहले चरण के 10 सीटों पर उम्मीदवार का एलान किया था, इसमें छह मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे।इसके बाद दूसरे चरण के सात उम्मीदवारों में से पांच मुस्लिम को टिकट दिया।
बीएसपी ने अलीगढ़ में तो सपा के मुस्लिम उम्मीदवार के सामने अपना मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारा है इसके अलावा बीएसपी ने मेरठ, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, बरेली समेत कई सीटों से मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। इस रणनीति से बात साफ है कि मायावती सपा के कोर वोटर्स में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
बीएसपी के इस फैसले की मुख्य वजब बीते दिनों में सपा की बदली हुई रणनीति को ही माना जा रहा है क्योंकि सपा ने कोलकाता अधिवेशन के बाद अपने मुस्लिम और यादव के समीकरण को मजबूत करने लिए अनुसूचित जाति के वोटर्स को जोड़ने की रणनीति बनाई थी।
अब जब सपा बसपा के वोट बैंक को अपनी तरफ लाने की तैयारी में है तो बीएसपी ने भी अपना दांव चल दिया है और सपा के वोटर्स में सेंधमारी की तैयारी शुरू कर दी है। अब ये निकाय चुनाव के परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि किसका दांव चला? उधर एक संभावना ये भी है कि सपा बसपा की आपस की वोट काटने की सियासत भाजपा को फायदा मिले।
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