द लीडर : देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को दो दिवसीय किसान संसद बुलाई है. इसका मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि जब देश की संसद में कानून और किसानों की समस्याओं पर चर्चा नहीं होने दी जा रही है. तो फिर जनता को एक संसद बुलाकर इस पर चर्चा करनी चाहिए. इसमें मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर, अरुणा रॉय, जस्टिस गोपालन, पी साईनाथ समेत अन्य हस्तियों ने भाग लिया है.
किसान संसद के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी न्यौता भेजा गया था. स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इसमें शामिल न हो पाने की सूचना ट्वीटर पर साझा की है.
The Kisan Sansad will take place in Delhi for the next two days. I am unable to attend. Here is a letter I wrote to @pbhushan1 saying that I may not be there in person but will be present in spirit. pic.twitter.com/EnfJd2ehgZ
— H D Devegowda (@H_D_Devegowda) January 23, 2021
दिल्ली के गुरु तेग बहादुर स्मारक पर आयोजित किसान संसद को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि कृषि कानूनों को संसद में बिना वोटिंग के पास कर दिया गया. इससे पहले कोई सलाह-मशविरा भी नहीं हुआ.
न्यूनतम समर्थन मूल्य-जैसी जायज मांगों को भी तवज्जो नहीं दी गई. उल्टे ऐसे काानून पास कर दिए, जिससे किसान बर्बाद हो जाए. इसीलिए आज इतना बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ है.
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उन्होंने कहा, सरकार ने सोचा कि किसानों को भगा देंगे. उन पर वाटर कैनन, टियर गैस के गोले दागे. रास्ते में खाईं खोदी गई. इस सबके बाद भी किसान पहुंचे हैं. दो महीने से शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा है. सरकार ने इनको खालिस्तानी, पाकिस्तानी कहकर बदनाम करने की कोशिश की. अब गणतंत्र दिवस पर आने से रोका जा रहा है.
जबकि किसान कह रहे हैं कि वो गणतंत्र दिवस का जश्न मनाएंगे. ये सब देखते हुए सिविल सोसायट के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हम सबने तय किया कि इस पर चर्चा की जाए. इसके लिए सभी सांसद, पूर्व सांसद, राजनीतिक और किसान नेताओं के अलावा विशेषज्ञों का न्यौता भेजा.
बोले, ये किसान संसद पहली और आखिरी नहीं है. ये तो शुरुआत है जो पूरे देश में चलनी चाहिए. जहां किसान की समस्या और जरूरतों पर खुली चर्चा की जाए.