बांग्‍लादेश आंदोलन का क्या प्रमुख चेहरा हैं ये तीन छात्र….जिन्होंने जनआंदोलन कर प्रधानमंत्री को देश से भगाया

द लीडर हिंदी: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को अपना देश छोड़ने के लिए मजबूर करने के पीछे 3 अहम किरदार हैं. जिन्होंने यूनिवर्सिटी कैंपस से आंदोलन शुरू कर 15 साल से सत्ता में बैठी शेख हसीना की सरकार को पलभर में गिरा दिया.बतादें बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हो रहा आंदोलन जुलाई के आखिर में सरकार विरोधी उग्र प्रदर्शनों में बदल गया. इसके बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के साथ ही देश छोड़कर भागना पड़ा.लेकिन इसके पीछे जो किराद है उसको हम उजागर करेंगे. दरअसल इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा नाहिद इस्लाम है जिनके चलते तख्तापलट हुआ.

कौन है नाहिद इस्लाम?
बता दें नाहिद इस्लाम छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा है.जिसने बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट कर रख दिया. नाहिद इस्लाम के नेतृत्‍व में हुए देशव्यापी प्रदर्शनों के चलते आज शेख हसीना की 15 साल की सत्ता खत्म हो गई.नाहिद, ढाका यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट है.शेख हसीना को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने वाले आंदोलन के लीडर नाहिद इस्लाम एक छात्र नेता हैं. वर्तमान में ढाका विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं. इसके साथ ही नाहिद मानवाधिकार एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है. नाहिद इस्लाम छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के को-ऑडिनेटर भी हैं. उसने रविवार को बयान दिया था, “आज हमने लाठी उठाई है, अगर लाठी काम नहीं आई तो हम हथियार उठाने के लिए भी तैयार हैं. PM हसीना देश को गृहयुद्ध में धकेलना चाहती हैं. अब शेख हसीना को तय करना है कि वे पद से हटेंगी या पद पर बनी रहने के लिए रक्तपात का सहारा लेंगी.

नाहिद को पुलिस ने उठा लिया था
वही नाहिद ने पुलिस पर आरोप लगाया कि 20 जुलाई की सुबह उसे उठा लिया गया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया.वही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वर्दी में कुछ लोग नाहिद को गाड़ी में बैठा रहे थे.नाहिद के गायब होने के 24 घंटे बाद वह एक पुल के नीच बेहोशी की हालत में पाया गया. उसने दावा किया कि उसे तब तक लोहे की रॉड से पीटा गया जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया. 26 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच ने नाहिद को अस्पताल से इलाज के दौरान दोबारा उठा लिया था. इस बार डिटेक्टिव ब्रांच ने नाहिद और उसके सहयोगी की सुरक्षा का हवाला देते हुए हिरासत में लेने की बात कही.आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंद पड़ चुके आंदोलन नाहिद इस्लाम की एक अपील पर हिंसक हो गया. आखिर में मजबूर होकर शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी.

टॉर्चर सहकर भी चुप नहीं बैठा आसिफ महमूद
दूसरा नाम आता है आसिफ महमूद का. आसिफ महमूद ढाका यूनिवर्सिटी में लैंग्वेज स्टडीज का छात्र है.वह जून में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बना. 26 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच की तरफ से हिरासत में लिए लोगों में आसिफ महमूद भी शामिल था. उसे भी बाकी लोगों की तरह इलाज के दौरान अस्पताल से ही हिरासत में लिया गया था. आसिफ की हिरासत के पीछे भी सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया.

27 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच ने दो और छात्र नेताओं को हिरासत में लिया. इनके नाम सरजिस आलम और हसनत अब्दुल्लाह थे.वही उन्हें डिटेक्टिव ब्रांच के ऑफिस में रखा गया था. 28 जुलाई को उनके परिवार वालों ने उनसे मिलने की परमिशन मांगी, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया.पुलिस ने उन्हें 29 जुलाई को छात्रों से मिलने की परमिशन दी, लेकिन इससे पहले नाहिद, आसिफ और उसके साथियों ने एक वीडियो जारी करके विरोध प्रदर्शनों को वापस लेने की बात कही थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने इनसे मारपीट कर जबरन वीडियो बनवाया था। आसिफ को एक इंजेक्शन दिया गया जिससे वह कई दिनों तक बेहोश रहा.1 अगस्त को छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में हुए प्रदर्शन के बाद उन्हें हिरासत से छोड़ दिया गया. 3 अगस्त को आसिफ ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए छात्रों से घर पर न रहने और नजदीकी प्रदर्शनों में शामिल होने की अपील की थी.

अबु बकर मजूमदार से कमरे में बंद कर आंदोलन वापस लेने का दबाव बनाया
शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में अबू बकर मजूमदार भी है. वह ढाका यूनिवर्सिटी में भूगोल यानी जियोग्राफी डिपार्टमेंट का स्टूडेंट है. द फ्रंट लाइन डिफेंडर के मुताबिक वह सिविल राइट्स और ह्यूमन राइट्स को लेकर भी काम करता है.5 जून को हाईकोर्ट के आरक्षण पर दिए फैसले के बाद बकर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट की शुरुआत की. उसने “स्वतंत्रता सेनानियों” के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने का जमकर विरोध किया.अबू को 19 जुलाई की शाम धानमंडी इलाके से कुछ लोग अपने साथ ले गए थे. जिसके बाद कई दिनों तक उसका कुछ भी पता नहीं चला.दो दिन बाद उसे सड़क किनारे जहां से उठाया गया था, वहीं छोड़ दिया गया. बाद में अबू ने मीडिया को बताया कि पुलिस उसे एक कमरे में बंद कर आंदोलन वापस लेने का दबाव बना रही थी.नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार घायल थे और अस्पतालों में इलाज करा रहे थे.इन सभी से आंदोलन को वापस लेने के लिए जबरदस्ती वीडियो बनवाया गया. जब ये कैद में थे, तब गृह मंत्री ये दावा कर रहे थे कि इन्होंने अपनी मर्जी से आंदोलन को खत्म करने की बात कही है. जब मामला खुला तो प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया.प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि हजारों लोग सड़कों पर उतर गए. उन्होंने संसद भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा कर लिया.

बता दें आज नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार ने एक वीडियो जारी कर एलान किया है कि अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री नोबेल विजेता अर्थशास्त्री डॉ. मोहम्मद यूनुस होंगे.https://theleaderhindi.com/major-opposition-party-warns-if-interim-government-is-not-formed-political-vacuum-may-be-created-in-the-country/

Abhinav Rastogi

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