The leader Hindi: वाराणसी के ज्ञानवापी केस को लेकर किरण सिंह बिसेन की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि यह याचिका सुनने योग्य है. सिविल जज सीनियर डिवीजन की ओऱ से ये आदेश दिया गया है. अब 2 दिसंबर को अब इस मुद्दे पर सुनवाई होगी कि पूजा की इजाजत मिले या नहीं.ज्ञानवापी मामले में गुरुवार की सुनवाई में सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के एप्लीकेशन को खारिज कर दिया. गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने सहित तीन मांगों को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। जिन तीन मांगों पर सुनवाई होनी थी, उसमें एक याचिका किरन सिंह विसेन और अन्य की है।
इसमें ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई थी। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति लगाई थी। कमेटी ने कहा था कि किरन सिंह विसेन की यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।विश्व वैदिक सनातन संघ के एडवोकेट अनुपम द्विवेदी के मुताबिक, अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मुकदमा सुनवाई योग्य है। अदालत ने सुनवाई की अगली डेट 2 दिसंबर फिक्स की है। इससे पहले इस मुकदमे के संबंध में कोर्ट ने 17 नवंबर की डेट फिक्स की थी। यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन और अन्य की ओर से दाखिल किया गया है.
कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी बहस पूरी कर उसकी लिखित प्रति दाखिल कर चुके थे। अब आपको बताते हैं किरण सिंह बिसेन की तीन मांगे क्या हैं पहली मांग है ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित हो , दूसरी ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दिया जाए और तीसरी ज्ञानवापी परिसर में मिले ज्योतिर्लिंग की नियमित पूजा-पाठ करने दी जाए। जितेंद्र सिंह विसेन के अनुसार इस मुकदमे में UP सरकार, वाराणसी के डीएम व पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है।
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