द लीडर। उत्तराखंड में आज बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। आज से भक्तों और बाबा के बीच की दूरी को कम करते हुए केदारनाथ मंदिर के कपाट आम जनता के दर्शन के लिए खोल दिए है।
भक्तों के लिए खोले गए केदारनाथ के कपाट
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आज सुबह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी की मौजूदगी में पारंपरिक विधि विधान के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ के लिए खोल दिए गए हैं।
शुक्रवार सुबह परंपरागत पूजा अर्चना और विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। श्रीकेदारनाथ मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग की अगुवाई में केदारनाथ मंदिर के टी गंगाधर लिंग और वेदपाठियों पुजारियों ने पहली पूजा संपन्न की। सुबह पांच बजे से कपाट खुलने की पूजा शुरू हुई।
सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर गर्भगृह के द्वार खुले
पुजारियों और मंदिर समिति के अधिकारियों ने मंदिर के पूर्वी द्वार से सभामंडप में प्रवेश किया। गर्भगृह के द्वार की पूजा और भैरवनाथ के साथ ठीक 6 बजकर 25 मिनट पर गर्भगृह के द्वार खुले। पहले निर्वाण दर्शन और फिर फिर भगवान के श्रृंगार दर्शन हुए।
पीएम मोदी के नाम पर की गई पहली पूजा
इस बार भी भगवान केदारनाथ की पहली अभिषेक पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से हुई। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। सेना के बैंड और केदार के जयघोष से यहां पूरा वातावरण भक्तिमय बना था। इस मौके पर रावल भीमाशंकर लिंग, मंदिर समिति के अध्यक्ष केंद्र अजय, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीबी सिंह समेत पुलिस प्रशासन के लोग मौजूद थे।
अब रोज बाबा केदार के दर्शन कर सकते हैं श्रद्धालु
इसके लिए तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं और मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया। कपाट खुलने के वक्तम करीब 10 हजार से अधिक श्रद्धालु वहां मौजूद रहे। अब आज से वहां हर रोज 12 हजार भक्तब रोजाना बाबा के दर्शन कर सकते हैं।
8 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
इससे पहले अक्षवय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले गए थे। अब अगली बारी बदरीनाथ धाम की है। 8 मई को सुबह बदरीनाथ धाम के कपाट भी खोल दिए जाएंगे। पिछले 2 साल से कोरोना महामारी की वजह से बेहद कम संख्या में भक्तों को मंदिर में दर्शन की इजाजत दी गई थी, लेकिन इस बार संख्याह बढ़ा दी गई है और नियमानुसार केदारनाथ धाम में एक दिन में 12 हजार, बद्रीनाथ में 15 हजार, गंगोत्री में 7 हजार, यमुनोत्री में 4 हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
भगवान शिव का दूसरा सर्वोच्च धाम है केदारनाथ
कैलाश पर्वत के बाद केदारनाथ को भगवान शिव का दूसरा सर्वोच्च धाम माना जाता है। कहते हैं कि यह मंदिर पांडवों ने सबसे पहले बनवाया था। उसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने इसकी स्थाकपना की और फिर तब से कालांतार में एक के बाद एक स्थाानीय राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया। अब यहां पर हर साल लाखों की संख्याब में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, शीतकाल में जब मंदिर को बंद किया जाता है तो वहां पर एक दीप प्रज्जैवलित किया जाता है और देवताओं का आह्वान करके पूजापाठ की जिम्मेकदारी उन्हेंत सौंपी जाती है। मान्यजता है कि मंदिर के बंद हो जाने के बाद भी आस-पास वहां पर घंटियों की आवाजें आती हैं। उसके बाद जब ग्रीष्म ऋतु आती है तब भी उस दीपक की ज्योति जलती हुई मिलती है।
केदारनाथ के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ माने जाते हैं
मान्यता है कि, इस दीपक के दर्शन बेहद दुर्लभ होते हैं। दर्शन करने वालों को मुक्ति की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जिस प्रकार काशी की रक्षा काशी के कोतवाल यानी भैरव बाबा करते हैं, उसी प्रकार केदारनाथ के रक्षक भुकुंट भैरवनाथ माने जाते हैं।
कहते हैं कि, शीतकाल में जब मंदिर को बंद कर दिया जाता है तो केदारनाथ धाम की रक्षा भुकुंट भैरव ही करते हैं। केदारनाथ मंदिर के आधा किमी दूर पर भुकंट बाबा का मंदिर है। मंदिर के कपाट खोलते वक्तह केदारनाथ से पहले भुकंट भैरव की पूजा की जाती है।