द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में निकाय चुनाव के दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जिसका ज़िक्र किया जाना चाहिए और हो भी रहा है.
वोटों की गिनती के बाद आए नतीजे से मुस्लिम वोटर के कांग्रेस की तरफ क़दम बढ़ाने का सुबूत मिला तो भारतीय जनता पार्टी पर भरोसे की दलील भी सामने आई.
नदीमुल हसन को मिली शानदार जीत
भाजपा से पहली बार बरेली में एक नगर पंचायत की चेयरमैनी मुस्लिम उम्मीदवार ने जीती है. वो भी मुस्लिम बस्ती कहे जाने वाले धौरा टांडा की. जहां से नदीमुल हसन को शानदार जीत मिली.
शीशगढ़ में रूबी बेगम का प्रदर्शन भी अच्छा रहा लेकिन बाग़ी वसीम अकरम के ताल ठोंक देने से हार गईं. यहां सपा के हाजी गुड्डू जीत गए. यानी भाजपा ने नगर पंचायत में चेयरमैनी के लिए दो मुस्लिम को टिकट दिए. एक जीता और एक हार गया. दोनों जगह से दो-दो सभासद भी जीतकर आए हैं.
नगर निगम में नहीं दिखाई दे सका यह प्रदर्शन
नगर पंचायतों का यह यादगार प्रदर्शन नगर निगम में दिखाई नहीं दे सका. भाजपा ने नौ वार्डों में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. एक लकी शाह से सिंबल वापस ले लिया, इसलिए क्योंकि उनकी छवि पर मीडिया ट्रायल शुरू हो गया था. बावजूद इसके वोटों के एतबार से सबसे अच्छा प्रदर्शन भी उन्हीं का रहा. समाजवादी पार्टी के कई बार से जीतते चले आ रहे अब्दुल क़य्यूम मुन्ना जैसे धाकड़ उम्मीदवार के सामने लकी शाह 1566 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे.
ट्रांसफर नहीं हो सका हिंदू वोट
द लीडर हिंदी ने जब भाजपा के नगर निगम वार्डों से मुस्लिम उम्मीदावरों की हार का सबब जानने के लिए रिज़ल्ट पर ग़ौर किया तो साफ हुआ कि इन उम्मीदवारों को मुस्लिम वोट तो मिला लेकिन हिंदू वोट उनके खाते में ट्रांसफर नहीं हो सका.
मिसाल के तौर पर गोविंदापुर में भाजपा से पार्षदी लड़ रहे शमीम को महज़ 50 वोट जबकि महापौर डॉ उमेश गौतम को 2200 वोट मिले. कमोबेश यही स्थित उन वार्डों की भी रही है, जहां से भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे.
संतोष की बात यह कि मुस्लिम मतदाताओं का भाजपा के लिए मन बदला है और यह मुमकिन इसी वजह से हुआ कि पार्टी ने टिकट देकर चुनाव लड़ाया.
बहरहाल, यह आग़ाज़ है. अंजाम क्या होगा 2024 में लोकसभा चुनाव तय करेगा. फिलहाल इतना ही तब कि बात तब करेंगे