द लीडर : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गुरुवार को लखनऊ में विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गए. इस आरोप में कि देश और प्रदेश में अघोषित इमरजेंसी यानी आपातकाल है. उनके साथ यूपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और मुख्य प्रवक्ता रामगोविंद चौधरी पर धरने पर बैठे. (Undeclared Emergency Akhilesh Yadav)
यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सियासी बयानों और जुमलों की झड़ी लगने लगी है. अभी यूपी के मुख्यमंत्री अब्बा जान की टिप्पणी को लेकर बहस छिड़ी है, जिसे उन्होंने अखिलेश सरकार को केंद्र में रखकर दिया था. ये कहते हुए कि इससे पिछली यानी सपा सरकार में अब्बा जान कहने वाले सारा राशन खा जाते थे.
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सीएम के इस बयान के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को चचाजान कहकर संबोधित किया है. इससे राज्य का सियासी तापमान बढ़ा है.
अखिलेश यादव राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर पंचायत चुनाव के दौरान से लेकर लगातार हमलावर हैं. और उनके खिलाफ विरोध या कमेंट का कोई मौका नहीं गवाते हैं. (Undeclared Emergency Akhilesh Yadav)
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हाल ही में मुख्यमंत्री के एक ट्वीट को लेकर अखिलेश यादव ने पटलवार किया था. जिसमें कहा था कि, महत्वपूर्ण ये नहीं कि हमने कैसा जीवन जिया है. बल्कि महत्वपूर्ण ये है कि हमारी वजह से लोगों ने कैसा जीवन जिया है. भाजपा ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. अब तो भाजपा नेताओं के प्रवचन भी लोगों को अच्छे नहीं लगते हैं.
अगले साल 2022 में यूपी के विधानसभा चुनाव हैं. इसके लिए सभी दल पूरी ताकत झोंके हुए हैं. समाजवादी पार्टी का दावा है कि यूपी में 350 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेगी. और ये संख्या 400 तक हो सकती है.
दूसरी तरफ भाजपा है, जोकि राज्य के विकास का दावा करते हुए पूर्ववर्ती सरकारों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही है. इस आरोप के साथ कि पिछले सरकारों में राज्य के विकास पर कोई काम नहीं किया गया. (Undeclared Emergency Akhilesh Yadav)