द लीडर। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार कर रहे हैं। तो वहीं ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने समान नागरिक संहिता के विचार को अस्वीकार करते हुए इसके पक्ष में कही जा रही बातों की निंदा की है।
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बोर्ड के महासचिव ने जारी किया पत्र
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इस संबंध में मंगलवार को एक विरोध पत्र जारी किया. पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह UCC पर कोई भी कदम उठाने से परहेज करे.
All India Muslim Personal Law Board terms Uniform Civil Code an unconstitutional & anti-minorities step; calls it an attempt by Uttarakhand, UP and Central Govts to divert attention from inflation, economy & rising unemployment. AIMPLB also appeals to the Govt to not undertake it pic.twitter.com/HlIBsCaUbw
— ANI (@ANI) April 26, 2022
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने जारी बयान में कहा है कि, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और केन्द्र की सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता का राग अलापना असामयिक बयानबाजी के अलावा और कुछ नहीं है।
बयान में आगे कहा गया है कि, यह अल्पसंख्यक विरोधी और संविधान विरोधी विचार है, मुसलमानों के लिए यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। बोर्ड इसकी कड़ी निंदा करता है और सरकार से अपील करता है कि, वह ऐसे कार्यों से परहेज करे।
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बयान के अनुसार, संविधान में देश के हर नागरिक को उसके धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करने की अनुमति दी गयी है। और इसे मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है। इसी के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के लिए उनकी इच्छा और परम्परा के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ रखे गये हैं।
अतीत में आदिवासी विद्रोहों को खत्म करने के लिए उनकी इस मांग को पूरा भी किया गया है कि वह सामाजिक जीवन में अपनी मान्यताओं और परम्पराओं का पालन कर सकेंगे।
कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश- महासचिव
बोर्ड के महासचिव मौलाना रहमानी ने अपने बयान में कहा है कि, आज हर व्यक्ति यह जानता है कि समान नागरिक संहिता के समर्थन में बयानबाजी का मकसद बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बेलगाम हो रही बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने और घृणा फैलाने के एजेण्डे को बढ़ावा देना है।
मुसलमान किसी कीमत पर नहीं करेंगे स्वीकार
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि, देश के मुसलमान इसे स्वीकार नहीं करेंगे। पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे असंवैधानिक कदम बताया और कहा कि, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
दरअसल, बीजेपी शासित कुछ राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज करे।
उन्होंने एक बयान में कहा कि, भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक, जीवन जीने की अनुमति देता है और यह मौलिक अधिकार भी है। इसी अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों को उनकी रीति-रिवाज, आस्था और परंपरा के अनुसार अलग पर्सनल लॉ की अनुमति है।
‘अल्पसंख्यक और संविधान विरोधी कदम’
रहमानी ने कहा कि, उत्तराखंड, यूपी सरकार या केंद्र सरकार की ओर से UCC का राग अलापना गैर-जरूरी बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं है। देश में हर इंसान जानता है कि, इन बयानबाजी का मकसद बढ़ती हुई महंगाई, गिरती हुई अर्थव्यस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना और घृणा के एजेंडे को बढ़ावा देना है. यह अल्पसंख्यक विरोधी और संविधान विरोधी कदम है।
सभी मुसलमान बोर्ड के साथ – AIMPLB
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जारी बयान का जमीयत दावतुल मुसलमीन के संरक्षक कारी इरशाद गोरा ने भी समर्थन किया. गोरा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड केवल एक समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया जा रहा है. इस मुद्दे पर सभी मुसलमान नागरिक मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के साथ हैं.
उत्तराखंड में ड्राफ्ट के लिए बनेगी कमेटी
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने असेंबली चुनाव से पहले वादा किया था कि, इलेक्शन के बाद राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया जाएगा. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. उन्होंने UCC का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया है.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए धामी सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का फैसला लिया है. वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, इसे राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है इस पर अध्ययन किया जा रहा है.
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