द लीडर : त्रिपुरा की सांप्रदायिक हिंसा की हकीकत उजागर करने वाले सुप्रीमकोर्ट के दो वकीलों के खिलाफ सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)का केस दर्ज कर लिया है. इसमें एडवोकेट मुकेश और एडवोकेट अंसार शामिल हैं. अगरतला पुलिस ने दोनों वकीलों को 10 नवंबर तक पूछताछ के लिए हाजिर होने का नोटिस जारी किया है. वहीं तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी को पानी सागर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. (Tripura Violence UAPA Case)
सुप्रीमकोर्ट के वकील एहतिशाम हाशमी के नेतृत्व में चार वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम त्रिपुरा के दौरे पर गई थी. जहां हिंसा प्रभावित इलाकों का निरीक्षण कर अल्पसंख्यक मुसमलानों के मस्जिद, मकान और दुकानें जलाए जाने के साक्ष्य कलेक्ट किए. जिसके आधार पर ये कहा कि, राज्य में सुनियोजित हिंसा भड़की थी. कई जगहों पर पुलिस की मौजूदगी में हिंसा होती रही. अगरतला में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी उन्होंने यही तथ्य सामने रखे थे.
जिस पर 3 नवंबर को पश्चिमी अगरतला पुलिस ने एडवोकेट मुकेश और अंसार के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज कर लिया. उन पर गलतबयानी, दो समूहों के बीच नफरत फैलाने वाले भड़काऊ स्टेटमेंट देने का इल्जाम है. (Tripura Violence UAPA Case)
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सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों पर यूएपीए का केस दर्ज किए जाने का विरोध शुरू हो गया है. एक्टिविस्ट, वकील और सामाजिक संगठन त्रिपुरा पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं.
वहीं, दिल्ली की तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी भी त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित इलाकों का जायजा लेने पहुंचे थे. जहां से उन्हें हिरासत में ले लिया है. पानी सागर की जिन मस्जिदों को निशाना बनाया गया है. मौलाना कमर वहां भी गए और स्थानीय लोगों से पूछताछ की. (Tripura Violence UAPA Case)
त्रिपुरा में 15 अक्टूबर से छिटपुट घटनाएं शुरू हुई थीं, जो 21 अक्टूबर तक बढ़ गईं. बांग्लादेश में 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर अल्पसंख्यक हिंदु समुदाय को निशाना बनाए जाने के विरोध में त्रिपुरा में रैलियां निकाली गईं. जिनमें भारी भीड़ शामिल हुई. आरोप है कि यही भीड़ अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक हो गई.
जमीयत उलमा-ए-हिंद की भी एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने राज्य में मस्जिदें जलाए जाने के सबूत सार्वजनिक किए हैं. लेकिन घटनाओं को उजागर करने वालों पर यूएपीए जैसी कठोर कार्रवाई करने लग गई है.
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया-एसआइओ ने त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों से जो डाटा जुटा है. उसमें 15 मस्जिदों को निशाना बनाए जाने की बात सामने आई है. (Tripura Violence UAPA Case)
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हालांकि पुलिस यही दावा कर रही है कि राज्य में हिंसा की फर्जी खबरें फैलाई गई हैं. इसको लेकर 5 केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 70 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है. (Tripura Violence UAPA Case)
त्रिपुरा पुलिस हिंसा को लेकर शुरुआत में कई दिनों तक खामोश रही. बाद में पुलिस के आला अधिकारियों ने वीडियो बयान जारी करके दावा किया कि यहां शांत है. और हिंसा से जुड़ी फेक न्यूज वायरल की जा रही हैं-जिन्हें शेयर न करें.
त्रिपुरा पुलिस ने अब राज्य में हिंसक घटनाओं की स्वीकारोक्ति की है. और कहा कि इस मामले में कार्रवाई की जा रही है.