द लीडर। बिहार की राजनीति में आज का दिन काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ बराबर हलचल देखी जा रही है। इस बीच ये तो है कि, भाजपा एवं जदयू के बीच कड़वाहट हद से ज्यादा बढ़ गयी है और अब ऐसा लग रहा है उनके अलग होने की खबर किसी भी वक्त आ सकती है। सूत्रों के मुताबिक, आज सीएम नीतीश कुमार दोपहर एक बजे राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा देंगे।
वैकल्पिक सरकार बनाने का खाका तैयार
सूत्रों का दावा है कि, JDU ने भाजपा से अलग होकर वैकल्पिक सरकार बनाने का खाका तैयार कर लिया है। नीतीश के नेतृत्व वाली नई सरकार में JDU, RJD, कांग्रेस, वामदलों और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) की भागीदारी होगी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में प्रमुख विपक्षी दल RJD के विधायकों, सांसदों और प्रमुख नेताओं की बैठक भी आज बुलाई गई है।
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जदयू और राजद की बैठकों की जगह भले ही अलग-अलग होगी , लेकिन समय और एजेंडा एक ही है। इसके कारण दोनों दलों के संबंधों के तार जोड़े जा रहे हैं। कांग्रेस और हम की बैठकें भी उसी के अनुरूप बुलाई गई हैं। सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों को आजकल में पटना पहुंचने का फरमान जारी कर दिया है। बिहार में जहां राजनीतिक हलचल बढ़ी हुई है।
भाजपा नेता साधे हुए हैं चुप्पी
वहीं भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए है। जिसके भी अलग मायने निकाले जा रहे है। शायद भाजपा नीतीश कुमार के फैसले का इंतजार है। यही कारण है कि, शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के अपने नेताओं के मुंह पर ताले जड़ दिए हैं और बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दी है। राजनीतिक गतिरोध के बीच बिहार भाजपा के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।
राज्यपाल को इस्तीफा दे सकते हैं नीतीश
वहीं सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि, नीतीश कुमार आज राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी दे सकते है। आज दोपहर एक बजे के बाद सीएम नीतीश कुमार राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे सकते हैं। साथ ही ये उम्मीद है कि, तेजस्वी के नेतृत्व में RJD, कांग्रेस,वामदलों और हम के विधायकों के समर्थन से नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे बात तो यहां तक हो रही है कि मंत्रिमंडल का फार्मूला भी तय हो गया है।
बता दें कि, बीते दिनों महाराष्ट्र काफी चर्चा में रहा वजह थी कि, वहा बिना चुनाव हुए सत्ता बदल गई। वैसे तो माना जाता है कि जनता एक बार पांच साल के लिए फैसल देती है लेकिन राजनीतिक दल उसे अपने हिसाब से बीच बीच में बदलते रहते है। महाराष्ट्र में सियासी घमासान अभी थमा ही नहीं कि अब बारी बिहार की है। आज बिहार की सियासत के लिए बड़ा दिन है।
RCP सिंह को माना जा रहा गठबंधन की दरार का कारण
मौजूदा समय में गठबंधन की दरार का सबसे बड़ा कारण आरसीपी सिंह को माना जा रहा है। JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने JDU से इस्तीफा दे दिया है। वहीं इससे पहले JDU की तरफ से आरसीपी सिंह को यह कहते हुए एक नोटिस जारी किया गया था कि, उन्होंने पार्टी में रहते हुए अकूत सम्पत्ति बनाई है। उधर से इसका जवाब तो आया नहीं लेकिन इस्तीफा जरूर आ गया और फिर दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी हुई।
इन्हीं बयानों के बीच JDU के वर्तमान अध्यक्ष ललन सिंह ने बीजेपी का नाम तो नहीं लिया लेकिन मतलब पूरी तरफ से समझा दिया उन्होंने साफ तौर से कहा कि, नीतीश कुमार का कद कम करने के लिए 2020 से लगातार साजिश हो रही है तब एक मॉडल तैयार किया गया था जिसका नाम चिराग पासवान था और अब दूसरा चिराग मॉडल तैयार किया जा रहा है ललन सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि आरसीपी सिंह का तन तो JDU में था लेकिन मन कहीं और था।
नीतीश कुमार की नाराजगी का सिर्फ एक मुद्दा नहीं
नीतीश कुमार की नाराजगी का सिर्फ एक यही मुद्दा नहीं है और भी कई मुद्दे है जिसमें अगर देखा जाए तो केंद्र सरकार में उचित प्रतिनिधित्व का न मिलना हो या राज्य सरकार में भाजपा के मंत्रियों के चयन को लेकर हो वहीं नितीश कुमार अपनी सरकार में किसी का दखल नहीं देखना चाहते वो चाहते हैं। उन्हें फ्री हैंड सरकार मिले। लेकिन जो नाराजगी आपस में ही सिमित थी वो अब अब साफ तौर से दिखाई भी पड़ रही है। रविवार को वो जब नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए और ये भी कोई पहली बार नहीं था पिछले एक महीने में चार ऐसे मौके आए है जिसमें वो केंद्र सरकार से जुडी बैठकों में शामिल नहीं हुए।
अब जब नितीश कुमार और भाजपा में नाराजगी चल रही है तो एक नजर बिहार की दलीय स्थित पर भी डाल लेते है।
बिहार विधानसभा में कुल सदस्य – 243
NDA
BJP – 77
JD(U) – 45
HAM – 4
निर्दलीय – 1
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कुल 127
महागठबंधन
RJD – 80
CPI (M-L) -12
CPI (M) – 2
CPI – 2
INC – 19
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कुल 115
नीतीश कुमार पहले भी कर चुके हैं ऐसा ?
अब जब कागज पर सियासी गणित दिख रहा है उसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष में सिर्फ 12 विधायकों का फर्क है ऐसे में ये बात तो तय है कि नीतीश कुमार RJD के साथ मिलकर आसानी से सरकार बना सकते हैं। और अगर कांग्रेस और CPI भी साथ रहती है। और मजबूत सरकार बन सकती है। इस बात की सम्भवना इसलिए भी बढ़ जाती है कि, नीतीश कुमार पहले भी ऐसा कर चुके है।
2014 में सबने देखा कि, नीतीश कुमार किस तरफ से भाजपा से अलग हुए थे और 2017 आते आते उनकी फिर NDA में वापसी हो गयी थी तो इस बार 2024 के पहले नितीश कुमार कुछ अलग संकेत दें रहे हैं।
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