UP Nikay Chunav Results: चुनाव कोई भी हो चुनाव के पहले प्रत्याशी एक दुसरे की हार जीत के दावे तो करते ही हैं साथ ही सामने वाली जमानत जब्त हो जाएगी ऐसी बड़ी बड़ी बात भी करते है। अब ये जमानत जब्त होना होता क्या है? सबसे पहले तो ये जान लेते है।
दरअसल, देश में पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव लड़ने पर उम्मीदवार को एक रकम जमा करानी होती है जिसे जमानत राशि कहा जाता है। जब किसी उम्मीदवार को उस सीट पर पड़े कुल वैध मतों का एक बटे 6 यानी 16.66 फ़ीसदी वोट हासिल नहीं होता तब उस प्रत्याशी की जमानत राशि को जब्त कर लिया जाता है। तो ये तो था कि कैसे जमानत जब्त होती है? अब बात इस पर भी कर लेते है कि अभी हाल में हुए यूपी निकाय चुनाव में ये जमानत जब्त वाली प्रक्रिया का क्या गुणा गणित रहा।
बीजेपी के 34 फीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाएं
अब जब यूपी नगर निकाय चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं, तब सभी पार्टियों की स्थिति एकदम साफ हो गई है कि मौजूदा हालात में कौन कितने पानी में है। इन चुनावों में आप सबको पता है बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की है, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि निकाय चुनाव में मिली बड़ी जीत के बावजूद बीजेपी के 34 फीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाएं। यही नहीं खुद को यूपी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली सपा और बसपा का तो इससे भी बुरा हाल है।
सपा-बसपा के पैरों के नीचे से जमीन खिसकी
यूपी निकाय चुनाव में इस बार 17 मेयर पद, पालिका परिषद अध्यक्ष के 199 और नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए 544 सीटों पर चुनाव हुआ था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाले इन चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत लगाई हुई थी, बीजेपी, सपा, बसपा कांग्रेस समेत सभी बड़े राजनीतिक दल पूरे दम के साथ चुनावी मैदान में उतरने का दावा कर रहे थे, लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो सपा-बसपा के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। बीजेपी ने सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया और निकाय चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की।
लेकिन बीजेपी की इस शानदार जीत के बावजूद पार्टी के 34.27 फीसद प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। वहीं समाजवादी पार्टी और बसपा के आंकड़े तो देखकर आप सोचने को मजबूर हो जायेंगे कि क्या ये वही बड़ी पार्टिया है जिनके टिकट के लिए मारामारी होती हैं। निकाय चुनाव में सपा के 48.62 फीसदी तो बसपा के 64.22 फ़ीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सके। वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की बात की जाए तो पार्टी के 78.33 फ़ीसदी, और प्रदेश में अपनी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी के 88.13 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत ज़ब्त हो गई।
अगर इन आकड़ों तो थोडा और विस्तार से समझें तो निकाय चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक 10,814 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिसमें से 3706 प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए। इसी तरह सपा के 5,232 उम्मीदवारों में से 2,544, बसपा के 3785 प्रत्याशियों में 2431 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस के 2994 उम्मीदवारों में से 2345 प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई तो आम आदमी पार्टी ने 2445 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे जिनमें से 2155 की जमानत जब्त हुई। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के 712 उम्मीदवारों में से 527 की जमानत जब्त हुई है। इन दलों के अलावा निकाय चुनाव में 58 पार्टियों के 27745 उम्मीदवार थे इनमें से 15012 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
इन अकड़ो से ये बात तो स्पष्ट है कि इस बार यूपी निकाय चुनाव में जमानत जब्त होने का ये अकड़ा सिर्फ निकाय चुनाव तक ही सीमित नहीं रहने वाला इसका असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता है। अब ये देखने वाला होगा कि इन आकड़ों देखकर राजनीतिक दल अपनी सियासत में क्या बदलाव करते है ?