द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। कोरोना से बचाव के लिए देशभर में वैक्सीनेशन अभियान जोरों शोरों से चलाया जा रहा है. लेकिन इस अभियान के तहत शहर और कस्बों में वैक्सीनेशन का स्तर ज्यादा देखा जा रहा है, जबकि ग्रामीण इलाके पीछे छूट रहे हैं.
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वैक्सीनेशन में अंतर चिंता का विषय
दरअसल, शहरी इलाकों में रहने वाले एक व्यक्ति को ग्रामीण इलाकों में रहने वाले व्यक्ति की तुलना में कोविड 19 वैक्सीन का एक शॉट प्राप्त करने की संभावना कम से कम 1.8 गुना ज्यादा देखने को मिल रही है. जो चिंता का विषय है.
पीछे छूट रहे ग्रामीण इलाके
क्योंकि देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी वर्तमान में ग्रामीण जिलों में रहती है. साथ ही शहर और ग्रामीण इलाकों के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है.
अंतर ज्यादा बढ़ा तो वैक्सीनेशन कराने में होगा अवरोध
इस विषय पर विशेषज्ञों का कहना है कि, अगर ये ग्रामीण-शहरी अंतर बढ़ता रहता है, तो ये भारत के लक्ष्य को वर्ष के अंत तक देश की 60-70 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन कराने में अवरोध पैदा कर सकता है.
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वहीं इस विश्लेषण के उद्देश्य से भारत के 700 से ज्यादा जिलों को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें पहला है-
शहरी- इसमें गांव में रहने वाली 40% से कम आबादी शामिल है.
मिश्रित- जिसमें 40% से 60% ग्रामीण आबादी रहती है.
ग्रामीण- जहां 60% से ज्यादा ग्रामीण आबादी रहती है.
शहर के लोगों का वैक्सीनेशन स्तर बढ़ा
जानकारी के मुताबिक, 27.2 प्रतिशत शहर के लोगों ने वैक्सीन का एक शॉट प्राप्त किया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 14.7 प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन प्राप्त किया है, ये तुलना शहरी-ग्रामीण वैक्सीन कवरेज अनुपात 1.8: 1 में तब्दील हो चुकी है.
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भारत का अधिकांश हिस्सा देश के ग्रामीण हिस्सों में रहता है
त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक शाहिद जमील ने कहा कि, भारत का अधिकांश हिस्सा अभी भी देश के ग्रामीण हिस्सों में रहता है, ऐसे में अगर ग्रामीण क्षेत्र पिछड़ रहे हैं, और ये अंतर बढ़ रहा है, तो ये एक चिंता की बात है, क्योंकि ये कोविड 19 के भयानक प्रभाव को और बढ़ा सकता है.
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