बिहार : बिहार के सीवान की खबर है. एक जज ने अपने पिता का शव लेने से इनकार कर दिया. करीब 20 घंटे तक डेड बॉडी अस्पताल में लावारिस पड़ी रही. प्रशासन के हस्तक्षेप पर जज ने एक वकील गणेश राम को अधिकृत कर अंतिम संस्कार किया. लेकिन वो अंतिम समय तक अपने मृत पिता के करीब नहीं पहुंचे. कांग्रेस नेता शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने इस घटना को रिश्तों की कमजोर होती डोर का नमूना बताया है. (Judge Refused Take Body Father Imran Pratapgadi)
सीवान ब्रम्हदेव की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई थी. हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक उनका बेटा जीवन राम एडीजे है. डॉक्टरों ने जीवनराम को सूचित किया कि उनके पिता का निधन हो गया है. और शव ले जाएं. रिपोर्ट के मुताबिक जज जीवन राम ने ये कहते हुए शव लेने से मना कर दिया कि उनका परिवार संक्रमित हो जाएगा. इसलिए स्वयं ही अंतिम संस्कार कर दें.
बाद में एसडीओ राम बाबू प्रसाद, नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार समेत अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में ब्रम्हदेव का दाह संस्कार किया गया. डॉ. एसआर रंजन के मुताबिक एडीजे ने मुझे भेजे गए पत्र में वकील गणेश राम को डेड बॉडी लेने के लिए अधिकृत किया था. प्रशासन ने दाह संस्कार की वीडियोग्राफी भी कराई है. उसमें शामिल अधिकारी भी ये चर्चा करते हुए कि पिता को अपने जज बेटे का कांधा भी नसीब नहीं हुआ.
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शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ब्रम्हदेव जी ने अपने इस बेटे को पढ़ाने-लिखाने में कितना पसीना बहाया होगा. कितनी खुशियां कुर्बान की होंगी. कितने समझौते किए होंंगे. तब जाकर जीवन वलाल जज बने होंगे. इस कोविड महामारी में ऐसी हजारों कहानियां हमारी आंखों के सामने हैं. अफसोस रिश्तों की डोर इतनी कमजोर कैसे है.
कोराना महामारी में ऐसी सैकड़ों घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसमें मृतकों से उनके परिवार ने मुंह मोड़ लिया. नाते रिश्तेदारों ने भी साथ छोड़ दिया. तब गैर लोगों ने अंतिम संस्कार कराया. बड़े पैमाने पर मुस्लिम युवा भी हिंदु समाज के मृतकों का अंतिम संस्कार करते नजर आ रहे हैं.
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बिहार में पिछले दिनों एक लड़की के माता-पिता दोनों का निधन हो गया था. गांव वालों ने अंतिम संस्कार नहीं किया. तो मजबूरन लड़की ने खुद ही गड्ढा खोदकर अपनी मां को दफनाया. इसलिए क्योंकि उसके पास मां के अंतिम संस्कार भर के पैसे नहीं थे. इस घटना की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. लेकिन ब्रम्हदेव का बेटा जज है. जब उनके जज बेटे ने मृत पिता से मुंह मोड़ लिया. तो समाज के आम लोगों से किस तरह की उम्मीद की जा सकती है.