सरकार ने किसानों की सभी मांगें मानी, संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा

द लीडर : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर खत्म हो रहा है. तीनों विवादित कृषि कानून पहले ही वापस लिए जा चुके हैं. बुधवार को सरकार ने किसानों की दूसरी सभी शर्तें भी मान ली हैं. इसी के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने साल भर से चल रहे आंदोलन के समापन का ऐलान कर दिया है. 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं पर मौजूद किसानों के जत्थे अपने गांव-घरों को वापस लौटना शुरू हो जाएंगे. (Farmers Movement End Announced)

कृषि कानून वापसी के बाद किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)की गारंटी पर अड़े थे. दूसरी शर्त ये थी कि आंदोलन के दौरान देश के जिस भी राज्य में किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. वे सभी वापस लिए जाएं. जब तक दूसरी मांगें पूरी नहीं होंगी. आंदोलन जारी रहेगा.

कृषि मंत्रालय ने किसानों से बातचीत के बाद एक सहमति पत्र जारी किया है. जिसमें कहा है कि, एमएसपी पर कमेटी बनेगी, जिसमें किसान प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. भारत सरकार राज्यों से अपील करेगी कि वे किसानों पर दर्ज मामले वापस लें. जहां तक आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने का सवाल है. तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमति जता दी है. (Farmers Movement End Announced)

वहीं, फसल का बेस्ट यानी पराली जलाने को लेकर जो कानून बना है, उसकी धारा-14 और 15 से किसानों काे आपराधिक जिम्मेदारी से मुक्ति दे दी जाएगी. मंत्रालय ने संयुक्त मोर्चा को जारी इस पत्र में कहा है कि अब जब किसानों से जुड़ी सभी मांगें मान ली गई हैं. तो आंदोलन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है.

मंत्रालय के इस प्रस्ताव को लेकर गुरुवार को ही सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक हुई. जिसमें अांदोलन वापस लिए जाने का फैसला हुआ. दोपहर को मोर्चा ने अधिकारिक रूप से इसकी घोषणा भी कर दी है.

कृषि कानून और दूसरी मांगों को लेकर पिछले साल किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान आकर बैठ गए. एक साल तक चले इस आंदोलन के दरम्यान करीब 700 किसानों की मौत हुई है. इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए ये आंदोलन अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहा है. (Farmers Movement End Announced)

Ateeq Khan

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