माफिया अतीक का हुजूम अब सन्नाटे में हुआ तब्दील, चालीसवें पर कब्र पड़ी हुई है वीरान

Atiq-Ashraf Shot Dead Case : कहते है कि समय बड़ा बलवान होता है और उसके आगे किसी की नहीं चलती। जिसका मौजदा समय का एक बड़ा उदाहरण माफिया अतीक अहमद का प्रकरण बनकर उभरा है। जिस अतीक का आतंक प्रयागराज या यूँ कहें जिसकी पूरे उत्तर प्रदेश में धमक थी। गुरुवार को उसी  माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के 40 दिन पूरे हो गए हैं।

इस्लाम धर्म की रिवायत के मुताबिक अतीक और अशरफ का आज चालीसवां है। वक्त का बदलाव देखिए कि आज चालीसवें के मौके पर भी कब्र सूनी पड़ी हुई है। कब्रिस्तान से लेकर पुश्तैनी घर तक सन्नाटा पसरा हुआ है। ना तो कब्र पर किसी ने फूल चढ़ाए हैं और ना ही घर पर चालीसवें से जुड़ी कोई रस्म अदा की जा रही है। जहां कभी कहा जाता था, अतीक अहमद की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था,उसी प्रयागराज में उसी अतीक की कब्र किसी अपने की आमद के जरिए दो बूंद पानी और एक अदद फूल को तरस रही है।

इस्लामिक परंपरा के मुताबिक किसी शख्स की मौत पर 40 दिनों तक परिवार में मातम पसरा रहता है। इस दौरान  किसी तरह की खुशियां नहीं मनाई जाती। 40 दिन पूरे होने पर चालीसवें की रस्म अदा की जाती है। जिसमें परिवार के सदस्य और करीबी आमतौर पर सुबह मरहूम यानी मृतक की कब्र पर जाकर फूल और चादर चढ़ाते हैं। फातिहा पढ़कर मरहूम को जन्नत में जगह मिलने की दुआएं की जाती हैं। लेकिन माफिया अतीक और भाई अशरफ की कब्र पर ना तो कोई  आंसू बहाने गया और न ही कोई फूल चढ़ाने के लिए पहुंचा है। इसके साथ ही चकिया इलाके में उसके पुश्तैनी घर पर फातिहा भी नहीं हो रही है। उसके अत्याचार पर कुदरत का जवाब तो देखिए कि रात में अतीक और अशरफ की कब्र पर किसी ने रोशनी भी नहीं की। अतीक और अशरफ की कब्र चालीसवें पर भी वीरान पड़ी हुई है।

कसारी मसारी इलाके के कब्रिस्तान में आज पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। अतीक और अशरफ की जिंदगी में जिस पुश्तैनी घर पर सैकड़ों का हुजूम रहता था।  सैकड़ों लोग पीछे चलते थे और काफिले में दर्जनों गाड़ियां शामिल रहती थी और आज मौत के बाद अपनों और करीबियों तक ने साथ छोड़ दिया है।

गौरतलब है, माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या आज से ठीक 40 दिन पहले 15 अप्रैल को प्रयागराज में कर दी गई थी और इतने वक्त में ही माफिया अतीक का हुजूम सन्नाटे में तब्दील हो चुका है।

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chandra mani shukla

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