इस देश का सबसे बड़ा घोटाला… ‘द व्हिस्की रिंग’- पढ़ें

द लीडर हिंदी : भारत के साथ-साथ अमेरिका भी कुछ ऐसे दौरों से गुजरा जो इतिहास बन गया. अमेरिका के लिए कठिन समय था 1869 का एक वो दौर. इस समय सिविल वॉर को खत्म हुए चार साल बीत गए थे, यूलिसिस एस ग्रांट, यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के प्रेसिडेंट बने थे. अमेरिका का पुनर्निर्माण अभी की प्राथमिकता थी और देश का कानून भी. ग्रांट ने शांति, समृद्धि और प्रगति के वादे पर राष्ट्रपति पद जीता और प्रगति हुई भी. इसी समय के दौरान पहला ट्रांसकॉन्टिनेंटल रेलमार्ग पूरा हुआ, लोग पश्चिमी क्षेत्रों की तरफ आने लगे और अमेरिकी मैन्युपैफ क्चरिंग आसमान छू गया. हालांकि, ग्रांट का प्रेसिडेंशियल घोटालों से ग्रस्त था और सबसे बड़े घोटालों में से एक, ‘द व्हिस्की रिंग’ था.

बता दें ग्रांट प्रशासन को प्रभावित करने वाला सबसे खराब और सबसे प्रसिद्ध घोटाला 1875 का व्हिस्की रिंग था.दरअसल, प्रेसिडेंट बनने के बाद, ग्रांट ने खुद को युद्ध के दौरान बनाए दोस्तों से घेर लिया. ऐसा ही एक मित्र ऑरविल बैबॉक था, जिसने विक्सबर्ग की लड़ाई से लेकर युद्ध के अंत तक उनका साथ निभाया था। ग्रांट ने बैबॉक को अपना पर्सनल सेक्रेटरी बनाया. जैसे ही ग्रांट का पहला कार्यकाल समाप्ति के करीब पहुंचा, एक पूर्व समर्थक सीनेटर कार्ल शुर्ज, प्रेसिडेंट के लिए समस्याएं पैदा करने लगा. सीनेटर कार्ल शुर्ज ने अगले चुनाव में ग्रांट को बाहर करने की कोशिश में लिबरल रिपब्लिकन्स का नेतृत्व किया. रिपब्लिकन पार्टी को एहसास हुआ कि ग्रांट को फिर से जीतने और पुनर्निर्वाचन को सुरक्षित करने के लिए उन्हें लड़ाई लड़नी होगी, इसलिए उन्होंने उसके अभियान के लिए धन जुटाने का काम शुरू कर दिया. यहीं से नींव पड़ी ‘द व्हिस्की रिंग’ की. यह 1871 था

यह रिंग करता क्या था. सादे और सरल शब्दों में कहा जाए तो यह गिरोह जितनी व्हिस्की बेचता था, कर बचाने के लिए उससे कम बिक्री की रिपोर्ट करता था. असली बिक्री के आंकड़े छुपाने से जितनी कमाई होती थी वह सब में बंट जाती थी और इसका सबसे ज्यादा फायदा रिपब्लिकन पार्टी को होता था. व्हिस्की रिंग गिरोह पूरे देश में सेंट लुइस, शिकागो, न्यू ऑरलियन्स और कई अन्य शहरों तक फैैल गया. हर शहर में, व्हिस्की बनाने और बेचने की प्रक्रिया में हर स्तर पर लोग शामिल थे या तो अपनी पसंद से या जबरदस्ती या ब्लैकमेल करके. नवंबर1871से शुरू होने वाले एक साल के लिए, रिंग के प्रमुख सदस्यों में से प्रत्येक को 45,000 और त्र्60,000 के बीच प्राप्त हुआ. आज के डॉलर के परिप्रेक्ष्य में कहें तो यह 865,000 से लगभग 1,154,000 (एक करोड़ 30 लाख से अधिक हिंदुस्थानी रुपए) के बराबर है. कहने की जरूरत नहीं है, अपने पीछे इतने पैसे और ताकत के साथ, ग्रांट ने 1872 में अपना दूसरा कार्यकाल जीता.

अब तो यह पूरी तरह से लालच पर आधारित एक उद्यम बन गया, जिसने अगले कई सालों तक सरकार को प्रतिवर्ष डेढ़ मिलियन डॉलर से अधिक का चूना लगाया. ब्रिस्टो को यह समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि धोखाधड़ी का एक मामला चल रहा था और उन्होंने इसे समाप्त करने का निश्चय किया। हालांकि, उच्च-स्तरीय हस्तक्षेप ने उन्हें ऐसा आसानी से करने से रोक दिया. जनवरी 1875 में, ब्रिस्टो ने सेंट लुइस सहित कई प्रमुख शहरों में आंतरिक राजस्व पर्यवेक्षकों के स्थानांतरण का आदेश दिया। पहले, राष्ट्रपति ग्रांट स्थानांतरण योजनाओं के साथ चलते दिखे, लेकिन एक सप्ताह के अंदर, वह मुकर गए और ब्रिस्टो को चीजों को वैसे ही छोड़ने के लिए कहा जैसे वे थे. ऐसे अन्य कदमों को भी ग्रांट या उनके सचिव बैबॉक द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था. ब्रिस्टो तेजी से कहीं नहीं पहुंच पा रहे थे.

लेकिन कहीं न कहीं से रास्ता मिल ही जाता है. ऐसा तब संभव हुआ जब एक अखबार सेंट लुइस डेमोक्रेट के मालिक ने मदद की पेशकश के साथ निजी तौर पर ब्रिस्टो से संपर्क किया. अखबार के मालिक ने ब्रिस्टो को डेमोक्रेट के बिजनेस एडिटर, मायरोन कॉलोनी नामक एक व्यक्ति के संपर्क में रखा. कॉलोनी ने मार्च 1875 में सेंट लुइस व्हिस्की रिंग में शामिल व्यवसायों की गुप्त रूप से जांच की, फिर अपने निष्कर्ष ब्रिस्टो को सौंप दिए. मई तक, ब्रिस्टो के पास भ्रष्टाचार को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए आवश्यक सबूत थे. संघीय कानूनविदों ने रिंग में शामिल होने के लिए 300 से अधिक प्रतिभागियों को गिरफ्तार किया, साथ ही डिस्टिलरी और रेक्टिफायर को भी जब्त कर लिया. ऑरविल बैबॉक की गिरफ्तारी और मुकदमे की कहानी दिलचस्प है.

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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