द लीडर : किसान आंदोलन के 145वें दिन टीकरी बॉर्डर पर किसान नेता संत धन्ना भगत जयंती मनाई. धन्ना भगत के गांव से मिट्टी लाई गई. किसानों को उनके किरदार से अवगत कराया गया. जिन्होंने शिक्षा, दहेज प्रथा, लैंगिंग समाानता के प्रति समाज को जागरुक करने में योगदान दिया था. (Farmers Leader Delhi Food Workers)
इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि अभी गेहूं खरीद चल रही है. केंद्र सरकार लगातार नव उदारवादी नीतियां थोपने पर आमदा है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के विभिन्न भागों में बाजार में समय से बारदाना (बड़े बैग) नहीं उपलब्ध हैं. जिससे किसानों को कई दिन तक मंडी में रहना पड़ रहा है. कई तो हतोत्साहित होकर निजी व्यापारियों को बेचने को मजबूर हैं. सरकार खुद मंडी व्यवस्था को कमज़ोर कर रही है. बाद में इनके खराब होने का हवाला देकर खत्म करने के दावे करती है. जबरन सीधी अदायगी व भूमि रिकॉर्ड मांगना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है, जिसका किसान डटकर विरोध करेंगे.
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सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान-मजदूरों का दिल्ली लौटना प्रारंभ हो चुका है. टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने भारी संख्या में हाजरी लगाई. सिंघु मोर्चे पर भी किसान पहुंच रहे हैं.
कोरोना महामारी और इसके प्रभाव में लगाये जा रहे लॉकडाउन से सयुंक्त किसान मोर्चा चिंतित है. सामान्य जन तक सुविधाओं का तो नुकसान हो ही रहा है, यह लॉकडाउन किसानों के लिए भी घातक है. फसलों की कटाई हो रही है. इस प्रक्रिया में लगे अनेक वाहन व यंत्र कभी खराब हो रहे है. वर्कशॉप व उपकरण की दुकानों तक भी किसान नहीं पहुंच पा रहे हैं.
दिल्ली के आसपास प्रवासी मजदूरों के वापस घर जाने को लगी होड़ पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने गहरी चिंता व्यक्त की है. किसान नेताओं ने प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वे अपने जीवन को खतरे में न डालें. जब तक किसानों का धरना चल रहा है, तब तक श्रमिक यहां शामिल हो सकते हैं. किसान व अन्य सामाजिक कल्याण के संगठन यहां पर सभी प्रवासी मजदूरों के रहने व खाने का इंतज़ाम कर रहे हैं. किसान नेताओं ने साझा संघर्ष की अपील की है.
आज गाजीपुर बॉर्डर पर किसान संगठनों ने खाने के पैकेट तैयार किये, जो दिल्ली के विभिन्न बस अड्डों व रेलवे स्टेशनों पर बांटे गए. जहां प्रवासी मजदूर जान जोखिम में डाल कर अपने घर जा रहे हैं. हज़ारो की संख्या में ये पैकेट आंनद विहार बस स्टैंड पर वितरित किए जा रहे हैं.
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‘अांदोलनों के दौरान हुए संपत्ति के नुकसान की वसूली विधेयक, हरियाणा’ को रद्द करने के की मांग के साथ भारत के राष्ट्रपति के नाम किसान संगठनों द्वारा सोनीपत व अन्य जगहों पर आज 20 अप्रैल को साझा ज्ञापन देकर विरोध किया गया.
सयुंक्त किसान मोर्चा, एक जन अधिकार संगठन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर रहा है, जो सयुंक्त राष्ट्र में किसानों के अधिकारों की घोषणा से संबंधित है. भारत सरकार ने इन घोषणाओं पर हस्ताक्षर किए हुए हैं. पिछले साल लाये गए तीन कृषि कानून इन घोषणाओं का उल्लंघना करते हैं.