इसलिए बरेली मरकज़ को नागवार गुज़रा सऊदी अरब सरकार का हज से जुड़ा यह फ़ैसला

The Leader. सऊदी अरब सरकार ने हज 2023 के लिए आवेदन शुरू होने के दौरान एक ऐसा हुक्म जारी किया, जिसकी मुसलमानों के बीच ख़ूब चर्चा है. दो साल से कम उम्र वाले बच्चे हज पर नहीं जा सकेंगे. सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ (केंद्र) दरगाह आला हज़रत से इस मामले में फ़ौरन ही प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है. यहां के मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के शिक्षक मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी बरेलवी ने एक ऑडियो जारी करके कहा है कि यह फ़ैसला की दो साल के बच्चों को हज पर नहीं लाएंगे, ज़ालिमाना है. भारत सरकार को सऊदी अरब हुकूमत से बात करना चाहिए. दुनियाभर के मुसलमानों को इससे दिक़्क़त का सामना करना पड़ेगा. लिहाजा़ फ़ैसला वापस लिया जाना चाहिए.


तुर्किये-सीरिया में ज़लज़लाः मौत के दिल दहला देने वाले मंज़र में खिलखिलाती ज़िंदगी


मुफ़्ती सलीम बरेलवी ने कहा है कि हज मज़हबे इस्लाम के पांच फर्ज़ों में एक फ़र्ज़ है. अहम और बुनियादी इबादत में आता है. मुसलमान अल्लाह के घर, अपने पैग़ंबर और उनकी यादगारों से संबंधित चीज़ों तबर्रुकात की ज़ियारत और उनकी आखिरी आरामगाह गुम्बदे खज़रा का दीदार करना अपनी ज़िन्दगी का बेशक़ीमती मक़सद समझता है. सऊदी अरब हुकुमत का यह फर्ज़ बनता है कि विश्वभर के मुस्लिम समुदाय के लिए उनके इस मज़हबी फर्ज़ की अदायगी में आसानियां पैदा करे. इसके लिए सरल क़ानून बनाए. इसके बरख़िलाफ़ हुकुमत आए दिन ऐसे-ऐसे क़ानून लाती है, हर साल ऐसे नए-नए टैक्स लगाती है जिससे मुसलमानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. मज़हबी फ़र्ज़ अदा करना मंहगा होता जा रहा है.


मुहम्मद आज़म ख़ान सियासत के अर्श से फ़र्श तक


दरगाह के मुफ़्ती सलीम नूरी का कहना है कि अब आकर सऊदी हुकुमत ने एक और मनमाना फैसला जारी करके मुसलमानों के सामने एक जटिल समस्या खड़ी कर दी है. वह यह कि 12 वर्ष से कम के बच्चों को माँ-बाप अपने साथ हजयात्रा पर नहीं ले जा सकते. इस मनमाने क़ानून से वे मुसलमान जिनके बच्चों की उम्र 12 साल से कम है, हज जैसे फर्ज़ की अदायगी से महरूम रह जाएंगे. हज यात्रा करने में सक्षम होने के कारण जिन पर हज फर्ज़ हो चुका है और वह अपने 12 वर्ष के बच्चे को 45 दिन की इतनी लम्बी मुद्दत तक किसी के सहारे छोड़कर नहीं जा सकते. यह तो उनके ऊपर एक बड़ा ज़ुल्म होगा. जिसकी क़ुरान ने पहले पारे में यह कहकर मज़म्मत की गई है कि “और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन जो अल्लाह की मस्जिदों (काबा शरीफ, मस्जिदे हराम शरीफ़ आदि) में जाने रोके, उनमें नामे ख़ुदा लिए जाने से”. मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि सउदी हुकुमत को 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर लगाई गई रोक पर पुर्नविचार करने और इसे हटवाने की कोशिश करे.

 

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