Terror Funding Case : अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दो केस में उम्रकैद, जानें किन धाराओं में मिली सजा ?

द लीडर। टेरर फंडिंग मामले (Terror Funding Case) में दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में जांच कर यासीन मलिक के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए थे।

वहीं दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

यासीन मलिक को दो केस में उम्रकैद की सजा

जानकारी के अनुसार, यासीन मलिक को दो केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इन सब के बीच यासीन मलिक के घर के बाहर बुधवार को लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है और देश विरोधी नारे भी लगाए थे। इस मामले में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।


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पथराव के आरोप में 10 गिरफ्तार

श्रीनगर पुलिस ने कहा कि, मैसूमा में कल सजा सुनाए जाने से पहले यासीन मलिक के घर के बाहर देश विरोधी नारेबाजी और पथराव करने के आरोप में अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अन्य सभी इलाकों में माहौल शांतिपूर्ण रहा।

गौर हो कि, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक ने टेरर फंडिंग एक केस अपना गुनाह कबूल किया था। साथ ही स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने 19 मई को यासीन मलिक को दोषी ठहराया था। मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा है।

NIA ने इकट्ठा किए थे पुख्ता सबूत

शरद कुमार ने बताया कि, एक बड़ी मछली अब जाल में है। ये ऐसे मास्टरमाइंड हैं जो सीधे तौर पर तो आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं लेकिन दूसरों को इसके लिए उकसाते हैं। NIA ने मलिक के खिलाफ बड़ी जांच की।

2017 में इस मामले के हाथ में आने के बाद एजेंसी ने मलिक के खिलाफ पुख्ता सबूत एकत्र किए और यही सबूत उसकी सजा के कारण भी बने। कुमार ने बताया कि इस जांच में थोड़ा ज्यादा वक्त लगा क्योंकि कश्मीर में हालात थोड़े अलग थे।

सजा पर कुछ नहीं बोलूंगा- यासीन मलिक

कोर्ट रूम में मौजूद वकील फरहान ने बताया कि, यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा कि, वो सजा पर कुछ नहीं बोलेगा। कोर्ट दिल खोल कर उसको सजा दे। मलिक ने कहा कि, मेरी तरफ से सजा के लिए कोई बात नहीं होगी।

वहीं, NIA ने यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की। इसके बाद यासीन मलिक 10 मिनट तक शांत रहा। यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा कि, मुझे जब भी कहा गया मैंने समर्पण किया, बाकी कोर्ट को जो ठीक लगे वो उसके लिए तैयार है।

कोर्ट ने ठहराया दोषी

कोर्ट ने माना है कि, मलिक ने ‘आजादी’ के नाम जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था। NIA ने खुद संज्ञान लेते हुए इस मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था। इस मामले में एक दर्जन के अधिक लोगों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की गई थी।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट में कहा था, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया।

यासीन मलिक ने कबूल किया गुनाह

यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।

यासीन मलिक के खिलाफ कौन-कौन से केस ?

▪️ 2017 में टेरर फंडिंग केस
▪️ 1990 में रावलपोरा में चार वायु सेना के अधिकारियों की हत्या
▪️ 1989 में देश के पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण
▪️ 1989 में कश्मीरी पंडित न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या

यसीन को यूएपीए के तहत हुई इतनी सजा

▪️ धारा 3: पांच साल जेल और पांच हजार रुपये का जुर्माना या फिर तीन महीने की अतिरिक्त कैद
▪️ धारा 15 : 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
▪️ धारा-17 और 18 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना और साजिश रचना) : 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
▪️ धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना): 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
▪️ धारा-38 व 39 : पांच साल की जेल व पांच हजार का जुर्माना

आईपीसी के तहत हुई इतनी सजा

▪️ धारा-120 बी (आपराधिक साजिश): 10 साल कारावास और 10 हजार का जुर्माना
▪️ 121 (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना): 10 साल की जेल व 10 हजार का जुर्माना
▪️ 121 ए (धारा 121 के अपराध की साजिश) 10 साल की सजा

जानिए कौन है यासीन मलिक ?

यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल, 1966 को मैसुमा (श्रीनगर) में हुआ था. यासीन मलिक के पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई है। यासीन मलिक आतंकी हिंसा के साथ वह कश्मीर के युवाओं को हमेशा अलगाववाद की राह पर ले गया।

वर्ष 1980 में तला पार्टी के नाम से एक अलगाववादी गुट तैयार करने वाले यासीन मलिक ने 1983 में अपने साथियों के साथ मिलकर श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में उस पिच को खोद दिया था, जहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच मैच होने जा रहा था।


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तला पार्टी 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग बनी और मलिक उसका महासचिव था। 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी विचाराधारा के विभिन्न संगठनों ने जमात-ए-इस्लामी का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मलिक व उसके साथ यूसुफ शाह पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ शाह ही आज हिजबुल मुजाहिदीन का सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है।

यासीन मलिक कश्मीर के उन चार आतंकियों में एक है, जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। इन चार आतंकियों को हाजी ग्रुप कहा जाता रहा है। इनमें हमीद शेख, अश्फाक मजीद वानी, यासीन मलिक और जावेद मीर शामिल थे। हमीद और अश्फाक दोनों ही मारे जा चुके हैं।

जानिए यासीन मलिक के कारनामे ?

▪️ वर्ष 1987 के बाद यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को बरगलाने लगे। उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा और उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
▪️ यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
▪️ अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा, लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।
▪️ 1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया और कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूटता रहा है।
▪️ अक्टूबर 1999 में यासीन मलिक को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया था।
▪️ कुछ समय बाद वह जेल से छूट गया और 26 मार्च 2002 को उसे हवाला से संबंधित एक मामले में पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था।
▪️ वर्ष 2009 में उसने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल मलिक से शादी की। मुशाल मलिक एक चित्रकार है। दोनों की एक बेटी रजिया सुल्तान है जो वर्ष 2012 में पैदा हुई है।
▪️ वर्ष 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आम कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।

‘आईएसएल’ के आतंकियों ने कई आतंकी घटनाओं को दिया अंजाम

साल 1986 में यासीन मलिक ने ‘ताला पार्टी’ का नाम बदलकर ‘इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी आईएसएल’ कर दिया गया। इसमें वह केवल कश्मीर के युवाओं को शामिल करता था और इसका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था। आगे चलकर आईएसएल में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी शामिल हुए, जिन्होंने कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया।

कश्मीर में हिंदुओं पर हमले में यासीन मलिक का नाम

1980 दशक से ही कश्मीर में हिंदुओं पर हमले होने लगे थे और इसमें यासीन मलिक और उसके साथियों का नाम आता था। कश्मीर में बढ़ती हिंसा की घटनाओं को देखते हुए 7 मार्च, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जम्मू कश्मीर की गुलाम मोहम्मद शेख सरकार को बर्खास्त कर दिया और वहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।

बाद में कांग्रेस ने फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ हाथ मिला लिया। फिर 1987 में विधानसभा चुनाव हुए और इसमें अलगाववादी नेताओं ने मिलकर एक नया गठबंधन किया।

यासीन मलिक ने इस गठबंधन के प्रत्याशी मोहम्मद युसुफ शाह के लिए प्रचार किया। बाद में इसी युसुफ शाह ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन किया, जो आज युसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जाना जाता है।


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indra yadav

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