बेशक, आयशा लड़ाई के लिए नहीं बनींं पर इस तरह मरने को भी नहीं! काश ये जान पातीं

‘अल्लाह से दुआ करती हूं कि अब दोबारा इंसानों की शक्ल न दिखाए.’ आयशा! बिल्कुल ठीक कहा. इंसान है ही इतना फितरती. फरेब, बेईमान, हिंसा और औरतों पर राज करने…