द लीडर हिंदी : दिल्ली के महरौली में श्रद्धा क़त्ल केस के बाद मुसलमानों के बड़े दीनी गलियारों से भी मज़म्मत (निंदा) के लिए ग़ुस्से से भरे अल्फ़ाज़ सुनाई दे रहे हैं.
शुरूआत यूपी के ज़िला बरेली स्थित दुनियाभर से सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ दरगाह आला हज़रत से हुई है. आइएमसी के सरबराह मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान ने इस मामले में बड़ी मांग उठाई है.
उनका कहना है कि क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आफ़ताब पूनावाला को हमारे हवाले कर दिया जाए. हम उसे ज़मीन में आधा गाड़कर उसे संगसार कराएंगे. यानी उसे पत्थर-कंकड़ों से मारेंगे.
एक ग़ुज़ारिश भी की थी कि श्रद्धा के क़त्ल को हिंदू-मुसलमान के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. हैवान का कोई मज़हब नहीं होता.
इस मामले में क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान एवं दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा ख़ान क़ादरी की अगुवाई वाले संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा की मीटिंग में आफ़ताब को फांसी दिए जाने की मांग उठाई गई है.
जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन ख़ान ने सुझाव दिया है कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए, ताकि आफ़ताब जल्द से जल्द फांसी के फंदे तक पहुंच सके.
मुम्बई में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्य मौलाना अतहर और मौलाना महमूद दरियाबादी ने कहा है कि बेहद ही अफ़सोसनाक वारदात है.
तकलीफ़ हुई है लेकिन इसे अब लव जिहाद जैसे लफ़्ज़ उछालकर माहौल को ख़राब किया जाना भी ठीक नहीं है. आफ़ताब ने गुनाह किया है और उसे क़ानून से सज़ा भी मिलना चाहिए.
इस मामले अपनी बात रखते हुए आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने लिव इन को हराम क़रार दिया है. बच्चों को इससे बचाने के लिए मां-बाप को आगे आने की नसीहत की है.