द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कड़े सवाल किए. पिछले साल कोर्ट ने राजकोट में कोविड अस्पताल में लगी आग से मरीजों की मौत के मामले पर खुद संज्ञान लिया था. कोर्ट ने 18 दिसंबर को सभी राज्यों को अस्पतालों के फायर ऑडिट और उसके आधार पर ज़रूरी कार्रवाई के लिए कहा था.
यह भी पढ़ें: पंजाब कांग्रेस में जंग जारी, कैप्टन ने विधायकों को लंच पर बुलाया सिद्धू को ठेंगा दिखाया
गुजरात सरकार की अधिसूचना पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट ने गुजरात सरकार की उस अधिसूचना पर नाराजगी जताई जिसमें अस्पतालों को अग्नि सुरक्षा के मानक पूरे करने के लिए जून 2022 तक का समय दिया गया है.
कोर्ट का आदेश बदला नहीं जा सकता
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच ने कहा कि, जब एक बार कोर्ट कोई आदेश दे तो उसे सरकारी अधिसूचना से बदला नहीं जा सकता. राज्य सरकार ऐसी छवि न बनाए कि वह अस्पतालों को बचाना चाह रही है.
यह भी पढ़ें: संसद का मानसून सत्र कवर करने की 340 पत्रकारों को नहीं इजाजत, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया हैरान
कोर्ट ने आगे कहा कि, हॉस्पिटल सेवा की जगह नहीं रहे. लोगों की तकलीफ से कमाई का जरिया बन गए हैं. 4 कमरे वाली जगह में भी चल रहे हैं. इस तरह के अस्पतालों का बंद हो जाना बेहतर है. जजों ने राजकोट हॉस्पिटल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दिए जाने पर भी आपत्ति जताई.
दो हफ्ते के लिए टली सुनवाई
इसके साथ ही कहा कि, यह कोई देश की परमाणु सुरक्षा का मसला नहीं है जो इतनी गोपनीयता बरती जाए. कोर्ट ने गुजरात सरकार को दिसंबर में आए आदेश के बाद उठाए गए कदमों का पूरा ब्यौरा देने के लिए कहते हुए सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी. जजों ने कहा कि वह बाकी राज्यों में भी अस्पतालों में आग से सुरक्षा पर सुनवाई करेंगे.
यह भी पढ़ें: IIT कानपुर का दावा- दूसरी लहर से कम घातक होगी कोरोना की तीसरी लहर