द लीडर : ”हमें ये जानने की इच्छा है कि रामपुर प्रशासन के अत्याचारों और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से क्या सहयोग मिल सकता है? पार्टी पदाधिकारियों की आम राय ये बनी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कम से एक महीना रामपुर में कैंप करें. प्रदेश में लोकतांत्रिक मूल्यों की बहाली के लिए नफ़रत का केंद्र बने रामपुर से इस लड़ाई का आगाज़ किया जाए. इसका पूरा बंदोवस्त रामपुर की समाजवादी पार्टी करेगी.” (Rampur Samajwadi Party Strike)
रामपुर समाजवादी पार्टी के ज़िलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को ये पत्र लिखा है. उधर रविवार को विधायक आज़म ख़ान के बेटे और स्वार टांडा से सपा विधायक अब्दुल्ला आज़म ख़ान और लोकसभा उप-चुनाव के प्रत्याशी रहे आसिम राजा गांधी समाधि के पास धरने पर बैठ गए हैं.
समाजवादी पार्टी के ज़िलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल का आरोप है कि जनता पर शासन-प्रशासन के ज़ुल्म के ख़िलाफ 27 अगस्त को सपा ने प्रशासन से धरने की अनुमति मांगी थी. लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाज़त देने से इनकार कर दिया और ज़िले में धारा-144 लागू कर दी है. (Rampur Samajwadi Party Strike)
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उनका आरोप है कि शहर को छावनी बना दिया गया. और धरना स्थल अंबेडकर पार्क के गेट पर ताला जड़ दिया. इतना ही पिछले तीन दिनों से जनता के बीच दहशत पैदा की जा रही है. रामपुर के नागरिक समाज और पार्टी के नेताओं के ख़िलाफ़ अत्याचार करके, प्रशासन ज़िले में पार्टी का अस्तित्व ख़त्म करने की रणनीति अपनाए हुए है. पार्टी नेताओं पर फ़र्जी कार्रवाईयों से पार्टी के भविष्य पर संकट गहराता जा रहा है. पिछले चुनावों में इसकी झलक दिखी भी है.
ज़िलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने एक तरह से रामपर ज़िला प्रशासन पर बेहद गंभीर आरोप तो लगाए ही हैं, बल्कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भी उतने ही गहरे प्रश्नचिन्ह लगाए हैं. (Rampur Samajwadi Party Strike)
अखिलेश यादव को भेजे पत्र में रामपुर समाजवादी पार्टी की इकाई का आरोप है कि पिछले चार सालों से रामपुर में शासन और प्रशासन के ज़ुल्म का सिलसिला जारी है. बिजली चोरी, वाहन चेकिंग, क़ानून व्यवस्था के नाम पर आम लोगों पर ज़ुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं. सीएए-एनआरसी प्रोटेस्ट के दरम्यान एक नौजवान की हत्या कर दी गई. और हज़ारों बेकसूर लोगों को सलाखों के पीछे डालकर उनका जीवन बर्बाद कर दिया गया. निर्दोष लोगों से वसूली हो रही है. और ये सब सपा नेता, समर्थकों के ख़िलाफ़ हो रहा है.
विधायक आज़म ख़ान और उनके परिवार पर ज़ुल्म किसी से छिपा नहीं है. साथियों के ख़िलाफ़ भी मुक़दमें लिखे जा रहे हैं. इस प्रक्रिया में अदालतों के आदेशों की भी अनदेखी की जा रही है. ऐसे हालात में हमें क्या करना चाहिए? (Rampur Samajwadi Party Strike)
रामपुर में सपा के प्रदर्शन के मद्देनज़र धारा-144 लगा दी गई है. इसलिए सपा विधायक अब्दुल्ला आज़म ख़ान और आसिम राजा, दो लोग ही पोस्टर लेकर धरने पर बैठ गए हैं. इसी महीने आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ दो और मामले दर्ज किए गए हैं. इस आरोप में कि उन्होंने पहले से दर्ज मामलों में गवाहों को डराया-धमकाया है. आज़म परिवार और सपा ने इन मुक़दमों को फर्जी बताया है. और इसको लेकर सपा का एक प्रतिनिधि मंडल डीजीपी से भी मुलाकात कर चुका है.
रामपुर समाजवादी पार्टी के नेताओं के पत्र में बेचैनी के साथ तेवरों में तल्ख़ी का भी एहसास है. लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व इसे कितनी गंभीरता से लेता है या उस पर क्या असर होता है-ये देखना होगा. (Rampur Samajwadi Party Strike)