द लीडर : दिल्ली का जंतर-मंतर, जहां से मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान हुआ था. वहीं पर हेट स्पीच के खिलाफ विरोध दर्ज कराने कुछ लोग पहुंचे हैं. इसमें पत्रकार हैं, शिक्षक, छात्र और समाज के अन्य लोग शामिल हैं, जो हर हाल में नफरत के खिलाफ डटकर खड़े हैं. ट्वीटर पर प्रोटेस्ट अगेंस्ट हेट स्पीच ट्रेंड कर रहा है. दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद देर रात रिहा कर दिया है.
(Protest Against Hate Speech)
8 अगस्त को दिल्ली में भारत जोड़ो आंदोलन हुआ था. सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने इसका आयोजन किया. इस प्रोटेस्ट में मुसलमानों के खिलाफ हिंसात्मक नारेबाजी हुई.
वीडियो सामने आने के बावजूद दिल्ली पुलिस बेपरवाह बनी रही. विवाद बढ़ने पर पहले अज्ञात और फिर अश्वनी के विरुद्ध नामजद मामला दर्ज हुआ.
मंगलवार को अश्वनी उपाध्याय, विनोद शर्मा, दीपक सिंह, विनीत, पुनीत सिंह और दीपक को हिरासत में लिया गया. क्राइम ब्रांच की टीम पूछताछ की.
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दिल्ली पुलिस के डीसीपी दीपक यादव ने पत्रकारों से कहा, एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ नारेबाजी से जुड़े मामले में 6 लोग हिरासत में लिए गए हैं. 8 अगस्त को ही इसमें एफआइआर दर्ज की गई थी. आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा.
हिंसात्मक नाराबेजी के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस, प्रशासन और दूसरी संवैधानिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों की भी आलोचना हो रही है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी ये वीडियो टैग करके तल्ख सवाल पूछे जा रहे हैं. (Protest Against Hate Speech)

हालांकि इस मामले में आयोग ने सोमवार को ही दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी करके 10 अगस्त को उन्हें तलब किया था. और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी. इसके बाद ही पुलिस हरकत में आई और अज्ञात एफआइआर को नामजद में तब्दील कर गिरफ्तारियां की हैं.
इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट महिला अधिवक्ता फोरम ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. जिसमें पूरे घटनाक्रम का हवाला देते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है.
राजनीति पर सफाई दे रहा अल्पसंख्यक आयोग
अल्पसंख्यक आयोग के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा-सरदार हरचरण सिंह जो आयोग के सदस्य रहे हैं. वह कांग्रेस के नेता थे.
मुहम्मद शफी कुरैशी-आयोग के पूर्व चेयरमैन हैं. वह चार बार के मंत्री, राज्यपाल भी रहे हैं. क्या इन्होंने आयोग में जो फैसले लिए, वे सभी निष्पक्ष हैं. बोले-कोई निष्पक्ष नहीं थे, क्योंकि इनकी पृष्ठभूमि कांग्रेस की थी. (Protest Against Hate Speech)
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एक ट्वीट के जवाब में आतिफ रशीद ने कहा-अगर कानून व्यवस्था का उल्लंघन हुआ है, तो संवैधानिक संस्थाएं आवश्यक कार्रवाई करेंगी. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग स्वतंत्र संस्था है.
किसी खास पार्टी का समर्थन इसका हिस्सा नहीं हो सकता. हकीकत में कांग्रेस के समय जब ऐसा हो रहा था, तो उस समय आप सो रहे थे. (Protest Against Hate Speech)