द लीडर। इन दिनों देश में जनसंख्या काफी बड़ा मुद्दा बन गया है। और इसको लेकर बहस चल रही है। लगभग सभी लोग इस बात को स्वीकार कर रहें है कि, देश में आबादी नियंत्रित होनी चाहिए। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान के बाद जनसंख्या का मुद्दा वर्गो के हिसाब से देखा जा रहा है। और अब जनसंख्या पर कई नेता अपनी राय रख रहे हैं।
पहले आपको सीएम योगी आदित्यनाथ का जनसंख्या को लेकर दिए गए बयान के बारे में बता देते हैं। कल लखनऊ में जनसंख्या दिवस के मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, परिवार नियोजन के ज़रिए जनसंख्या नियंत्रण की बात करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, इससे जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा ना हो पाए।
जनसंख्या पर क्या बोले यूपी के सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि, ऐसा न हो कि, किसी वर्ग की आबादी की बढ़ने की गति और उसका प्रतिशत ज़्यादा हो और कुछ जो मूल निवासी हों उन लोगों की आबादी का स्थिरीकरण में। हमलोग जागरूकता के जरिए एन्फ़ोर्समेंट के माध्यम से जनसंख्या संतुलन की स्थिति पैदा करें। हालांकि सीएम योगी ने इस बयान में किसी वर्ग विशेष का नाम नहीं लिया। लेकिन उनका ये बयना कई तरह से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत देश में हिंदुओं के बाद मुसलमान दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
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कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, यह एक चिंता का विषय है। हरेक उस देश के लिए जहां जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति पैदा होती है। धार्मिक जनसांख्यिकी पर विपरीत असर पड़ता है। फिर एक समय के बाद वहां पर अव्यवस्था और अराजकता पैदा होने लगती है। इसलिए जब जनसंख्या नियंत्रण की बात करें तो जाति, मत-मज़हब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समाज में समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम के साथ जुड़ने की ज़रूरत है।
मज़हब नहीं बल्कि मुल्क की मुसीबत है जनसंख्या विस्फोट : नकवी
वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने जनसंख्या बोलते हुए ट्वीट किया कि, बेतहाशा जनसंख्या किसी मज़हब और जाति की समस्या नहीं है बल्कि मुल्क की मुसीबत है। इसे जाति, धर्म से जोड़ना जायज़ नहीं है।
बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मज़हब की नहीं,मुल्क की मुसीबत है,इसे जाति,घर्म से जोड़ना जायज़ नहीं🙏 #populationday2022
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) July 11, 2022
मुख्तार अब्बास नकवी की जनसंख्या पर इस टिप्पणी को कई लोग सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान के विरोध में देख रहे हैं। लेकिन राजनीति से हटकर भी इस गंभीर विषय पर बात करने की जरूरत है।
‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली मानसिकता पर अंकुश लगाने की जरूरत’
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विश्व जनसंख्या दिवस एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि, बढ़ती जनसंख्या का दानव भारत को विश्व गुरु बनने से रोक रहा है। दस-दस बच्चे पैदा करने वाली विकृत मानसिकता पर अंकुश लगाने की जरूरत है। हालांकि, 10-10 बच्चे पैदा करना किसकी मानसिकता है, यह मंत्री गिरिराज सिंह ने नहीं बताया।
ओवैसी बोले- कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं
जनसंख्या पर योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने दावा किया कि, भारत में कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं है। चिंता एक स्वस्थ और उत्पादक युवा आबादी को सुनिश्चित करने की है, जिसमें मोदी सरकार बुरी तरह से नाकामयाब है।
ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि, जनसंख्या दिवस पर संघी फेक न्यूज फैलाने में समय बिताएंगे लेकिन सच यह है कि, मोदी के शासन में भारत के युवा और बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। भारत के कम से कम आधे युवा बेरोजगार हैं। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों का घर है।
जनसंख्या पर क्या बोले नगालैंड के मंत्री तेमजेन इमना अलांग
जनसंख्या दिवस पर बोलते हुए नगालैंड के मंत्री तेमजेन इमना अलांग का बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्य के उच्च शिक्षा और आदिवासी मामलों के मंत्री विश्व जनसंख्या दिवस पर इस मामले में समझदारी भरा रवैया अपनाने को कहा है.
मंत्री तेमजेन ने ट्वीट किया कि, विश्व जनसंख्या दिवस पर आइए हम जनसंख्या वृद्धि के मुद्दों के प्रति समझदार हों और बच्चे पैदा करने के बारे में सूचित विकल्पों को मन में बैठा लें या #StaySingle मेरी तरह और एक साथ हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में योगदान कर सकते हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा, आइए आज एकल आंदोलन में शामिल हों.
On the occasion of #WorldPopulationDay, let us be sensible towards the issues of population growth and inculcate informed choices on child bearing.
Or #StaySingle like me and together we can contribute towards a sustainable future.
Come join the singles movement today. pic.twitter.com/geAKZ64bSr
— Temjen Imna Along (@AlongImna) July 11, 2022
जनसंख्या मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है भारत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है। नवंबर 2022 में दुनिया की आबादी आठ अरब हो जाएगी। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के बाद वैश्विक आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ रही है. 2020 में एक फ़ीसदी की गिरावट आई थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक़, 2030 तक दुनिया की आबादी 8.5 अरब हो जाएगी और 2050 में 9.7 अरब हो जाएगी।
अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर की एक स्टडी में पता चला है कि, भारत में सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफ़ी कमी आई है। नतीजा ये रहा कि, साल 1951 से लेकर अब तक देश की धार्मिक आबादी और ढाँचे में मामूली अंतर ही आया है। भारत में सबसे ज़्यादा संख्या वाले हिंदू और मुसलमान देश की कुल आबादी का 94% हिस्सा हैं यानी दोनों धर्मों के लोगों की जनसंख्या क़रीब 120 करोड़ है। ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायी भारतीय जनसंख्या का 6% हिस्सा हैं।
जब संजय गांधी ने देश में चलाया था नसबंदी अभियान
अगर जनसख्या नियंत्रण की बात की जाए तो इससे पहले भी कई कदम उठाए गए है। 70 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और कांग्रेस नेता संजय गांधी ने देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाया था, जिसे लेकर काफी सवाल उठे थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू किया तो उनके बेटे संजय गांधी ने जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया था।
सरकार और पुलिस अधिकारियों के लिए नसबंदी का कोटा तय कर दिया गया था कि, कम से कम इतने लोगों की नसबंदी होनी ही चाहिए। नतीजा ये रहा कि गांव हो या शहर हर जगह लोगों की जबरन नसबंदी की खबरें आईं थी। एक साल के भीतर ही लगभग 62 लाख लोगों की नसबंदी की गई थी। उस समय संजय गांधी के परिवार नियोजन के तरीके को लेकर काफी सवाल खड़े हुए थे।
इसका नतीजा था कि, 1977 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद केंद्र की किसी भी सरकार की नसबंदी अभियान को उस पैमाने पर लागू करने की हिम्मत नहीं हो सकी है। ऐसे में अब देखना है कि भाजपा सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कैसे कदम उठाती है? लेकिन ये बात तो को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि, अगर 1975 के समय भी इस गंभीर समस्या पर राजनीति न हुई होती तो आज कुछ सकारात्मक प्रभाव जरूर दिखाई पड़ते।
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