द लीडर : कोरोना महामारी में गरीबों की हालत देखी होगी. लॉकडाउन में दो वक्त के खाने के लिए उनकी छटपटाहट भी. ठीक इसी दरम्यान में देश के उद्योगपतियों की आमदनी तेज रफ्तार से बढ़ रही थी. ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में भारत के अरबतियों की दौलत में 35 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. जबकि इसी बीच 84 प्रतिशत परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. इस रिपोर्ट को एनडीटीवी ने प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के अप्रैल महीन में ही 1.7 लाख लोगों की नौकरियां चल गईं थीं. इसमें कहा गया है कि 2020 में 100 अरबपतियों ने जितनी दौलत बनाई है, उससे देश के 13.8 करोड़ गरीबों को 94,045 रुपये प्रति व्यक्ति-चेक दिया जा सकता है. रिपोर्ट, भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता की तस्वीर दर्शाती है.
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इसके मुताबिक, रिलाइंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एक घंटे में जितनी दौलत कमाई है. देश के एक अकुशल कामगार को उसे कमाने में 10 हजार साल लग जाएंगे.
ऑक्सफैम ने कहा है कि महामारी और लॉकडाउन ने अनौपचारिक मजदूरों को सबसे बुरी तरह से प्रभावित किया है. इस बीच करीब 12.2 करोड़ लोगों के रोजगार चले गए. जिसमें करीब 9.2 करोड़ लोग अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक थे. महिलाओं पर इसका असर सबसे घातक रहा.
90 साल बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट
ऑक्सफैम ने महामारी को पिछले 100 सालों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बताया है. वर्ष 1930 की महामंदी के बाद से ये सबसे बड़ा आर्थिक संकट भी रहा है. ऑक्सफैम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा कि, रिपोर्ट से पता चलता है कि असमान आर्थिक व्यवस्था ने कैसे सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर में भी कुछ अमीरों ने सबसे ज्यादा दौलत बंटोरी है.