द लीडर : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. राज्य की 58,194 पंचायत सीटों पर आरक्षण सूची जारी हो चुकी है. और इन पर आपत्तियां दाखिल करने का सिलसिला बना है. इन आपत्तियों का निस्तारण करके 15 मार्च को फाइनल सूची घोषित की जानी है. इस बीच हजारों उम्मीदवारों की दिल की धड़कने बढ़ी हुई हैं. इसलिए क्योंकि आरक्षण के गणित ने उनकी दावेदारी का खेल बिगाड़ दिया है. (UP Panchayat Election Caste Birth)
इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग के हवाले से एक खबर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है. जिसका शीर्षक है, ‘विवाह के आधार पर आरक्षित सीट पर दावेदारी का हक नहीं.’ इस खबर को पढ़कर लोगों में एक भ्रम पैदा हो रहा है.
वो ये कि अंतरजातीय शादी के बाद आरक्षण की स्थिति क्या रहेगी? मसलन, अगर ओबीसी वर्ग की किसी महिला ने सामान्य जाति के पुरुष से शादी की है. तो महिला की जाति ओबीसी रहेगी या सामान्य. ये भ्रम पैदा होता है.
चूंकि इस संबंध में सुप्रीमकोर्ट का आदेश है कि महिला की जाति उनके जन्म से निर्धारित होती है. यानी महिला ने जिस जाति में जन्म लिया है. शादी के बाद भी वे अपनी जन्मजात जाति के अधिकार के साथ जिएंगी.
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वायरल खबर को लेकर हमने राज्य निर्वाचन आयोग के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी जय प्रकाश सिंह से बात की. जय प्रकाश सिंह भी कहते हैं कि, ‘शादी के बाद महिला की जाति नहीं बदलेगी.
मतलब साफ है कि ओबीसी वर्ग की कोई महिला सामान्य श्रेणी के पुरुष के साथ शादी करती हैं. तो महिला की जाति ओबीसी वर्ग ही रहेंगी. उनके पति की जाति का महिला के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.’
इसी तरह अगर सामान्य वर्ग की कोई महिला, ओबीसी वर्ग के पुरुष से शादी करती हैं. तो महिला की जाति सामान्य ही रहेगी. उन्हें ओबीसी जाति का लाभ नहीं मिलेगा.
कुल मिलाकर ये साफ हो जाता है कि अंतरजातीय शादियां करने वाले महिला-पुरुष अपनी-अपनी व्यक्तिगत जाति के अनुसार आरक्षित और अनारक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के हकदार हैं और बने रहेंगे. हर महिला-पुरुष की निजी दावेदारी पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा कि उन्होंने किस जाति में शादी की है.
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