कमीशनखोरी में अटक गया सांसों का इंतजाम, वरना बच जाती बहुतों की जान

लखनऊ। जब कोई बड़ी समस्या आ जाती है तो उसके पीछे कई कारण होते है अगर समय रहते उन पर ध्यान दिया गया होता तो समस्या इतनी बड़ी न होती। प्रदेश में जो इन दिनों ऑक्सीजन की कमी की समस्या आ रही है उसके पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि अगर अधिकारियों के बीच कमीशन खोरी ना होती तो प्रदेश में कोरोना आने के पहले ही प्रदेश के विभिन्न जिलों के कई अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम की स्थापना हो जाती । इस बात की पोल तब खुली जब आर क्यूब हेल्थकेयर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड का मुख्य सचिव को लिखा हुआ पत्र वायरल होता पाया गया जो कि 3 मार्च 2021 को लिखा गया है।

आर क्यूब हेल्थकेयर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में यह लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद लखनऊ को शासन द्वारा सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम की स्थापना करने को कहा गया था जिसमें टी पी सप्रू चिकित्सालय प्रयागराज, राजकीय क्षय रोग चिकित्सालय प्रयागराज, लोकबंधु राजनारायण चिकित्सालय लखनऊ, 100 शैय्या संयुक्त चिकित्सालय दर्शन नगर अयोध्या, श्री राम चिकित्सालय अयोध्या, 12 नग 100 बेडेड एमसीएच विंग और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एवं स्टरलाइजेशन, सेंट्रल स्टरलाइजेशन सप्लाई डिपार्टमेंट के काम को पूरा करने के लिए लिखा गया है।

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पत्र 3 मार्च 2021 का है यानी कि प्रदेश में उस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर का भयंकर प्रकोप नहीं था लेकिन प्रशासन उसके बाद भी नही जागा। दरअसल अगस्त 2018 में विभिन्न जनपदों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम शुरुआत का आदेश जारी किया गया लेकिन जांच के नाम पर उसे रोक दिया गया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों के कमीशन खोरी के खेल के चलते सितंबर 2019 तक कार्रवाई न करने के आदेश दिए गए जबकि पूरा काम अगस्त 2018 से मई के मध्य होना था। इसके पीछे की वजह बताई गई उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधिकारी अपने चहेतों को कार्य देने के चक्कर में निविदा को लटकाए हुए थे और जुगाड़ से अपने चहेतों को यह कार्य सौंपना चाहते थे। यानी अगर कमीशन खोरी का चक्कर ना होता तो कोरोना के आने के पहले ही एक मजबूत सिस्टम तैयार हो जाता। अधिकारियों की कमीशन खोरी का आलम यह था कि पहले काम को जांच के नाम पर सितंबर 2019 तक रोका गया,उसके बाद देश ने 2020 में कोरोना का प्रचंड रूप भी देखा लेकिन प्रशासन तब भी नहीं जागा। दूसरी लहर जिस तरह से कहर बरपा रही है उस पर अगर समय रहते पहले से काम हुआ होता तो कोरोना के इस मौत के खेल को रोका जा सकता था।अगस्त 2018 में जिस काम की शुरुआत हुई थी वो अभी तक क्यो पुरा नही हुआ उसका जवाब किसी के पास नही है।

Abhinav Rastogi

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