द लीडर हिंदी : यूपीएससी ने एक बार फिर से लैटरल एंट्री नोटिफिकेशन जारी किया है.लैटरल एंट्री के तहत केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों में योग्य उम्मीदवारों की सीधी भर्ती की जाएगी. इस भर्ती के लिए सरकारी नौकरी या प्राइवेट नौकरी वाले उम्मीदवार भी अप्लाई कर सकते हैं.जहां सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले कैंडिडेट्स के लिए ये अच्छी खबर मानी जा रही है.वही दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले पर आरोप भी लग रहे है.दरअसल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लैटरल एंट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव (ज्वाइंट सेक्रेटरी) और निदेशक (डायरेक्टर) के पदों के लिए वैकेंसी की घोषणा की है.
इस वैकेंसी में सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की जाएगी. हालांकि इस फ़ैसले पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इस भर्ती में आरक्षण के अधिकार का हनन होगा. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, “बीजेपी ने एक बार फिर से आरक्षण पर वार किया है.
मोदी सरकार ने केंद्र में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, डिप्टी सेक्रेटरी के क़रीब 45 पद भरने के लिए लैटरल एंट्री का विज्ञापन निकाला है.”कांग्रेस के मुताबिक़, “इसमें ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस का आरक्षण नहीं है. ऐसा इसलिए है कि मोदी और बीजेपी सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है ताकि इन वर्गों को नौकरियों से दूर रखा जा सके.
वही ”कांग्रेस ने लिखा कि यह क़दम संविधन पर हमला है.वहीं तेजस्वी यादव ने लिखा, “केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मज़ाक एवं खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है.
” यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इसका विरोध करते हुए लिखा, “केंद्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उप सचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा.” अब इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी आरक्षण विरोधी पार्टी है. यह पार्टी पूरे देश में पिछड़ों, वंचितों और दलितों का आदिवासियों का आरक्षण ख़त्म करना चाहती है.”संजय सिंह ने कहा, “इनको 240 सीटें ही मिलीं. अगर इनकी 300 सीटें भी आ जातीं तो ये ज्वाइंट सेशन बुलाकर संविधान ही बदल देते. ये आरक्षण ख़त्म कर देते.”संजय सिंह ने बयान दिया कि केंद्र सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टियां आरक्षण की वकालत करती रही हैं, लेकिन अब उनके सामने ही आरक्षण ख़त्म हो रहा है. लैटरल एंट्री एक नया फ़ॉर्मूला है जो आरक्षण ख़त्म कर रहा है.