द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। आतंकवाद भारत की सबसे बड़ी समस्या है। भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार होता रहा है। भारत के कश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं। भारत में आतंकवाद ने भारतीय शासन-व्यवस्था को जर्जर कर दिया है। आतंकवाद ने भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों को प्रभावित किया है। अत: इसे दूर करना अत्यधिक आवश्यक है। जिसको लेकर पीएम मोदी जल्द ही नया कदम उठाने वाले है। जिससे आतंकवाद को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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जल्द NATGRID को लॉन्च कर सकते हैं पीएम मोदी
बता दें कि, पीएम नरेंद्र मोदी जल्द ही नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) को लॉन्च कर सकते हैं। NATGRID का मकसद भारत की आतंक विरोधी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक तकनीक प्रदान करना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के फाइनल सिंक्रनाइज़ेशन की टेस्टिंग जारी है। गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में बताया था कि, कोरोना महामारी के कारण NATGRID को लॉन्च करने में देरी हुई है लेकिन जल्द ही इसे लॉन्च कर दिया जाएगा।
आतंकवाद भारत की सबसे बड़ी समस्या !
आतंकवाद एक प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि होती है। अगर कोई व्यक्ति या कोई संगठन अपने आर्थिक, राजनीतिक और विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए देश या देश के नागरिकों की सुरक्षा को निशाना बनाए, तो उसे आतंकवाद कहते हैं। गैर-राज्यकारकों द्वारा किये गए राजनीतिक एवं वैचारिक हिंसा भी आतंकवाद की ही श्रेणी में आती है। अब इसके तहत गैर-कानूनी हिंसा को भी आतंकवाद में शामिल कर लिया गया है। अगर इसी प्रकार की गतिविधि आपराधिक संगठन चलाने या उसे बढ़ावा देने के लिए की जाती है तो उसे भी आतंकवाद माना जाता है। यद्यपि, इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। वहीं भारत में अभी भी आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या है। भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार होता रहा है।
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क्या है NATGRID ?
NATGRID आतंकवाद, आर्थिक अपराध आदि की घटनाओं की जानकारी को सहज और सुरक्षित डेटाबेस के रूप में रख सकता है। इसके जरिए संदिग्धों को आसानी से रियल टाइम ट्रैक किया जा सकता है और आतंकी हमलों को रोका जा सकता है। दावा है कि इससे इमिग्रेशन, बैंकिंग, हवाई और यात्रा अधिक सुरक्षित हो सकेंगे। 2008 में मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा एजेंसियों के पास रियल टाइम पर महत्वपूर्ण जानकारी के लिए कोई टूल नहीं था। उसके बाद से NATGRID जैसे किसी टूल की जरूरत महसूस की जा रही थी।
कैसे काम करेगा NATGRID?
रिपोर्ट मुताबिक, शुरुआत में 10 यूजर एजेंसी और 21 सर्विस प्रोवाइडर्स को NATGRID से जोड़े जाने का प्लान है। और बाद के चरणों में करीब 950 संगठनों को इससे जोड़ा जाएगा। इन डेटा सोर्सेज में इमिग्रेशन, बैंकिंगम वित्तीय लेनदेन, टेलीकम्युनिकेशंस आदि शामिल हैं। आयकर विभाग NATGRID के तहत 10 जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ पैन और बैंक के डिटेल्स साझा करेगा।
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NATGRID का एक्सेस किसके पास होगा?
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (CBI), डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस (DRI), एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED), सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT), कैबिनेट सेक्रेटेरिएट, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट और नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) जैसे संस्थानों के पास NATGRID का एक्सेस रहेगा।
नेटग्रिड परियोजना को 2010 में मिली थी मंजूरी
हेडली ने मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा को लक्ष्यों की अहम सूचनाएं और वीडियो मुहैया कराए थे, जिसमें विदेशियों समेत 166 लोग मारे गए थे। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Security-CCS) ने 3,400 करोड़ रुपये की नेटग्रिड परियोजना को 2010 में मंजूरी दे दी थी, लेकिन 2012 के बाद इसका काम धीमा हो गया। वर्ष 2014 में सत्ता में आए मोदी ने नेटग्रिड को पुनर्जीवित करने के लिए निर्देश दिए।
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नेटग्रिड से 950 संगठनों को जाएगा जोड़ा
प्रथम चरण की योजना के तहत 10 उपयोगकर्ता एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं को नेटग्रिड से जोड़ा जाएगा जबकि बाद के चरणों में करीब 950 संगठनों को इससे जोड़ा जाएगा. बाद के वर्षों में एक हजार से ज्यादा संगठनों को नेटग्रिड से जोड़ा जाएगा.इन डेटा स्रोतों में आव्रजन प्रवेश व निकास संबंधी जानकारी, बैंक संबंधी व आर्थिक लेन-देन तथा फोन का रिकॉर्ड शामिल होगा. देश की प्रतिष्ठित संघीय एजेंसियों की नेटग्रिड डेटाबेस तक पहुंच होगी।
26/11 ने NATGRID बनाने को कैसे प्रेरित किया?
NATGRID की जरूरत भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों के बाद हुई। इस वक्त तक एजेंसियों के पास रियल टाइम ट्रैकिंग का कोई तरीका नहीं था। इसी कमी को दूर करने के लिए कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने 8 अप्रैल 2010 को 3400 करोड़ रुपये की NATGRID प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी, लेकिन 2012 के बाद इसका काम धीमा हो गया था। बाद में मोदी सरकार ने इसके पुनरुद्धार के लिए निर्देश जारी किया था।
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जब गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठी थी मायानगरी
साल 2008 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। एक तरह से करीब साठ घंटे तक मुंबई बंधक बन चुकी थी। इस आतंकी हमले को आज 12 साल से ज्यादा हो गए है. मगर यह भारत के इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई भूल नहीं सकता। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों को दिल दहल उठता है।
समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे आतंकी
मुंबई हमलों की छानबीन के बाद यह पता चला कि लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई में दाखिल हुए थे. बताया जाता है कि, सभी आतंकी 26 नवंबर को रात के करीब आठ बजे कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे थे और वहां से चार ग्रुपों में बंटकर टैक्सी के अलग-अलग स्थानों पर चले गए. इस दौरान कुछ मछुआरों को इस बात का शक हुआ था और उन्होंने पुलिस को इस बात की जानकारी दी थी, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया.
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वहीं भारत अब आतंकवाद को मुंह तोड़ जवाब दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से भाषण देते हुए कहा था कि, देश हिम्मत के साथ आतंकवाद और विस्तारवाद से लड़ रहा है और इन्हें जवाब भी दे रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, उनकी सरकार पिछले कई दशकों से अनसुलझी समस्याओं को भी सुलझाने का काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि, सरकार अपने दायित्व को लेकर पूरी तरह से सजग है और देश की रक्षा कर रहे प्रहरियों को भी सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, देश की रक्षा में लगी सेनाओं के हाथ मजबूत करने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है।