द लीडर : मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. यूनिवर्सिटी का गेट गिराए जाने के आदेश संबंधी याचिका को चुनौती दिए जाने के मामले में उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी. यूनिवर्सिटी पक्ष को जुर्माने की 30 प्रतिशत धनराशि जमा करनी होगी. (Mohammad Ali Jauhar University)
पिछले दिनों ने ही रामपुर की एक स्थानीय अदालत ने यूनिवर्सिटी का गेट न ढहाए जाने संबंधी आजम खान की याचिका खारिज कर दी थी. और यूनिवर्सिटी पक्ष को 1.68 करोड़ अदा करने का आदेश दिया था.
अदालत के फैसले के साथ ही जिला प्रशासन कार्यवाही को लेकर सक्रिय हो गया. यूनिवर्सिटी और आजम खान के आवास पर हर्जाना राशि और कार्यवाही का नोटिस चस्पा कर दिया. इस बीच चांसलर आजम खान और यूनिवर्सिटी पक्ष ने हाईकोर्ट का रुख किया.
आजम खान की ओर से हाईकोर्ट में अधिवक्ता कमरुल हसन और सफदर काजमी ने पक्ष रखा. वहीं, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल पेश हुए. न्यायाधीश अजीत कुमार की बेंच ने फैसला सुनाया है.
अदालत ने सुनवाई के लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह की तारीख दी है. इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग रामपुर से कहा है कि अब्दुल कलाम गेस्ट हाउस तक का रास्ता विभागीय रहेगा आम रास्ता नहीं किया जाएगा. (Mohammad Ali Jauhar University)
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दरअसल, भाजपा के एक स्थानीय नेता ने दो साल ये शिकायत की थी कि यूनिवर्सिटी का गेट सरकारी भूमि पर बना है. मामला एसडीएम कोर्ट में पहुंचा, जहां से गेट तोड़ने के आदेश जारी हुए. यूनिवर्सिटी पक्ष ने एसडीएम कोर्ट के फैसले को स्थानीय अदालत में चैलेंज किया था. लेकिन दो साल के बाद पिछले दिनों अदालत ने ये याचिका खारिज कर दी थी.
इससे यूनिवर्सिटी को लेकर देश भर से आवाजें उठने लगीं. शासन, प्रशासन और सरकार को मांग पत्र भेजे जाने लगे. इस गुहार के साथ कि गेट न तोड़ा जाए. यूपी के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन भी हुए.
परिवार और पूर्व राज्यपाल की यूनिवर्सिटी बचाने की अपील
जौहर यूनिवर्सिटी के भूमि अधिग्रहण को लेकर आजम खान के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं. इस आरोप में कि उन्होंने गलत तरीके से भूमि अधिग्रहित की है. चूंकि आजम खान अभी जेल में हैं. तो उनके परिवार और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी समाज से यूनिवर्सिटी बचाने की अपल कर चुके हैं.
सुप्रीमकोर्ट के फैसले से आजम की रिहाई की उम्मीद
हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम को पैनकार्ड के मामले में बड़ी राहत दी है. शीर्ष अदालत ने चार सप्ताह के अंदर संबंधित स्थानीय न्यायालय में उनके बयान दर्ज करके, रिहा करने को कहा है. इससे उनके चाहनों वालों में ये उम्मीद जागी है कि वह जल्द ही जेल से बाहर होंगे.