द लीडर हिंदी : चीन और मालदीव के बीच सीक्रेट रक्षा समझौता हुआ. जिसके तहत चीन की सेना मालदीव को सैन्य प्रशिक्षण और हथियार देगा. इस खबर से मालदीव सरकार और चीन के बीच सैन्य समझौते ने भारत की चिंताएं बढ़ाई हैं. इसकी वजह ये है कि मुइज्जू ने कहा है कि चीन से मालदीव को हथियार फ्री में मिलेंगे.वही मालदीव के सुरक्षाबलों को चीन ट्रेनिंग देगा.बता दें अभी तक भारत और अमेरिका मालदीव की सेना को ट्रेनिंग देते रहे हैं.
बतादें मोहम्मद मुइज्जू ने बीते साल चुनाव जीतने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभाला था. मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद से एक तरफ मालदीव के भारत से रिश्ते खराब होते गए तो दूसरी तरफ चीन से उसके संबंधों में मजबूती आई है. राष्ट्रपति मुइज्जू लगातार चीन के साथ संबंधों को बेहतर करने के इच्छुक दिख रहे हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए इस साल जनवरी में चीन को ही चुना था. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए थे. अब एक और सैन्य समझौता दोनों देशों के बीच हुआ है.
मिली जानकारी के मुताबीक चीन ने मालदीव को ज्यादा सैन्य सहायता देने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते को लेकर कई संशय इसलिए हैं क्योंकि पूरी जानकारी नहीं दी गई है. इस समझौते के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है. हाल ही में चीन और मालदीव के वरिष्ठ अफसरों ने दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते को आग बढ़ाते हुए पर हस्ताक्षर किए हैं. मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी देते हुए लिखा कि मालदीव के रक्षा मंत्री चीन के अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग कार्यालय के उप निदेशक मेजर जनरल झांग बाओकुन ने माले को बीजिंग की ओर से मुफ्त सैन्य सहायता के प्रावधान के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा. मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के हवाले से कहा गया है कि चीन मालदीव को रक्षा उपकरण मुफ्त मुहैया कराएगा. इससे देश की स्वायत्तता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
वही मालदीव ने लंबे समय से चीन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है लेकिन मुइज्जू के कार्यकाल में भारत के साथ उसके संबंध कमजोर होते दिखे हैं. भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव से जाने के लिए कहना और जल विज्ञान सहयोग समझौते को खत्म करना इसके अहम उदाहरण है.तो वही दूसरी तरफ चीन की हिंद महासागर में रणनीतिक उपस्थिति बढ़ रही है. मालदीव ने समुद्री जानकारी एकत्र करने के लिए जियांग यांग होंग 3 जैसे चीनी अनुसंधान जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की इजाजत दी है. इससे चीन के लिए संभावित सैन्य खुफिया लाभ के कारण भारत में आशंकाएं पैदा हो रही हैं.
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