द लीडर : दिल्ली की एक अदालत ने मी-टू के चर्चित मामले में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर पूर्व विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका खारिज कर दी है. इस फैसले को अकबर के लिए बड़ा झटका तो भारत में मी-टू अभियान की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. अदालत ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध शर्मनाक हैं, जहां उनके सम्मान में रामयण और महाभारत लिखी गई.
साल 2018 में यूरोप से मी-टू अभियान चर्चा में आया था. तब भारत में पत्रकार प्रिया रमानी ने तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इसी मामले में अकबर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में उन्होंने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था.
अदालत ने एक फरवरी को इस मामले की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन उत्पीड़न अक्सर बंद दरवाजे के पीछे होता है.
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इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता ये भी कहा कि यौन शोषण की शिकायतों के लिए मैकेनिज्म की कमी है. पीड़ित महिलाएं चरित्रहनन और बदनामी के ड से अक्सर आवाज नहीं उठा पाती हैं.
A woman has right to put grievance before any platform even after decades, says Delhi court on M J Akbar's complaint against Priya Ramani
— Press Trust of India (@PTI_News) February 17, 2021
प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर 20 साल पहले यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. तब, जब अकबर एक अखबार के संपादक थे और प्रिया रमानी उनके मातहत कार्यरत थीं.
एमजे अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कोर्ट में कहा कि 20 साल पहले उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया. इन आरोपों को साबित करने में वह नाकाम रही हैं.
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फैसले पर खुशी जताते हुए प्रिया रमानी ने कहा कि इस सच्चाई के बावजूद कि मैं पीड़ित हूं. फिर भी मुजरिम की तरह कोर्ट में खड़ी थी. मैं उन सभी लोगों को धन्यावाद देती हूं जो मेरे साथ खड़े रहे और आवाज उठाई. अदालत का भी.