द लीडर हिंदी : यूपी में लोकसभा चुनाव त्रिकोणीय हो गया है. न-न करते बात बन गई. सपा-कांग्रेस और (आप)अब साथ नजर आने वाले है. यूपी डील के बाद दिल्ली में भी डील लगभग तय. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सीट बंटवारे पर बातचीत लगभग पूरी कर ली है और जल्द ही सीटों का ऐलान हो सकता है.वही सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को संयुक्त घोषणा हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, बाकी 4 सीटें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी को मिलेंगी.
उधर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के बाद अब मध्य प्रदेश में भी दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर सहमति बनी है.आम आदमी पार्टी (AAP) एक तरफ जहां पंजाब में अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है तो वही दूसरी तरफ दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन का फॉर्मूला फाइनल हो गया है.
हालांकि अभी इसका आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 4-3 का फॉर्मूला दिया है. यानी 4 सीट पर आम आदमी पार्टी और 3 सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. हालांकि कांग्रेस 4 सीटों की मांग कर रही है. बताया जा रहा है फॉर्मूला तो तय हो गया है, लेकिन कांग्रेस की एक सीट की मांग के चलते अभी ऐलान नहीं हो सका है.
वही उम्मीद की जा रही है कि अब बहुत जल्द यानी अगले कुछ दिनों में ही दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लोक सभा चुनाव के लिए गठबंधन का फॉर्म्युला तय हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में फॉर्म्युला 4-3 पर रह सकता है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि चार सीटें किसके खाते में जाएंगी?
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में अपने प्रदर्शन के आधार पर चार सीटों की मांग कर रही है, वहीं आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव को आधार बनाकर ज्यादा सीटें अपने पास रखने की बात कर रही है.बता दें काफी दिनों से गठबंधन में काफी उतार चढ़ाव दिखाई दे रहा था.
राहुल गांधी यात्रा में व्यस्थ थे. तो सपा भी अपनी बात पर अड़ी थी. तो वही केजरीवाल ने अकेली ही पंजाब में चुनाव लड़ने का फैसला किया था लेकिन कल के बाद तस्वीर कुछ यू निकल कर आ रही है की तीन में ट्राएंगलहो गया. सपा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच बुधवार सुबह सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई जिसमें कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति दे दी है. गठबंधन को अंतिम रूप देने में प्रियंका गांधी व अखिलेश यादव की भूमिका अहम बताई जा रही है.