द लीडर : देश में एक तरफ़ जहां कुछ अतिवादी लोग या संगठन समाज के बीच नफ़रत पैदा करने की कोशिशों में लगे हैं. धर्म-जाति के आधार पर सोसायटी को बांटा जा रहा है. तो दूसरी तरफ़ इंसानियत और मुहब्बत के एक कुछ ऐसे दीवाने हैं, जो जान देकर भी इस रिश्ते का फ़र्ज अदा कर जाते. ललितपुर के इसरार भी उनमें से एक हैं, जो अपने दोस्त पीयूष को डूबता देख तालाब में कूद पड़े. इसरार पीयूष को बचा तो नहीं सके लेकिन जान देकर दोस्ती निभा गए. (Lalitpur Israr Piyush Friendship)
घटना यूपी के ज़िला ललितपुर में गणेश विसर्जन के दौरान की है. सदर इलाके में नेहरू नगर कॉलोनी के पास रेलवे अस्पताल वाली गली में पीयूष और इसरार का घर है. दोनों परिवार पीढ़ियों से यही रहते हैं. पचास गज की दूरी पर इनके घर हैं. सत्रह साल के पीयूष और 19 साल के इसरार पड़ोसी तो थे ही, जिगरी दोस्त भी थे. बचपन से याराना हो गया. साथ पढ़ना-खेलना होता था. इसरार पढ़ाई छोड़ चुके हैं, लेकिन पीयूष बीए कर रहे थे.
शुक्रवार को गणेश विसर्जन के लिए पीयूष ने इसरार से चलने को कहा, जिसे वह इनकार नहीं कर सके. और गणेश विसर्जन के लिए साथ चले गए. पूरे विसर्जन के दौरान इसरार दूर चबूतरे पर खड़े होकर विसर्जन देखते रहे. इसी दौरान पीयूष प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए तालाब में उतरे. इस बीच वह गहरे पानी चले गए और डूबने लगे. (Lalitpur Israr Piyush Friendship)
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डूबते पीयूष ने मदद के लिए चीखने लगे, लेकिन कोई बचाने नहीं उतरा. दोस्त पीयूष को डूबता देख इसरार बेचैन हो गए. और तालाब में कूद पड़े. ये जानते हुए कि ख़ुद तैरना नहीं आता है. लेकिन पीयूष को यूं डूबकर मरता तो नहीं देख सकते थे, शायद इसीलिए क़ूद गए. और दोस्त को बचाने उतरे इसरार भी पीयूष के साथ डूबकर मर गए. दोनों के शव बाहर निकाले गए, तो हाथ में हाथ था. ये घटना जिस किसी ने सुनी अपने आंसू नहीं रोक सका.