द लीडर। भारत देश में सभी धर्मों के लोग बड़े ही प्यार से रहते है। और यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। बता दें कि, भारत देश में देवी-देवताओं और मंदिरों का खास महत्व है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिरों में भगवान के दर्शन करने आते है। मंदिरों में आकर भक्तों, श्रद्धालुओं को एक अलग ही सुख की अनुभूति होती है। जब कोई त्योहार होता है तो मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लग जाती है। लेकिन क्या आप जानते है कि, सिर्फ हमारे भारत देश में ही ऐसा नहीं होता है जी हां पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान में भी एक ऐसा मंदिर है जिसकी खाफी मान्यता है। और भक्त दूर-दूर से वहां दर्शन के लिए जाते हैं। बड़ी बात तो ये है कि, वहां के मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते है। जी हां हम बात कर रहे है ब्लूचिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर की। देश-दुनिया में काफी मान्यता है। और यहां मुस्लिम लोग भी मत्था टेकने आते है। बता दें कि, इस मंदिर की मान्याताओं और माता की शक्ति के कारण ही मुस्लिम लोग माता के दरबार में सिर झुकाते हैं।
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हिंगलाज माता मंदिर का पौराणिक कथाओं में वर्णन
बलूचिस्तान में स्थित इस मंदिर को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं। लेकिन जितना बताया जाता है, उसके मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि, भगवान विष्णु ने जब माता सती का शीश काटने के लिए चक्र फेंका था तो चक्र से कटा शीश जिस जगह पर गिरा था, यही वह जगह है। यह मंदिर बलूचिस्तान से 120 किलोमीटर दूर हिंगुल नदी के तट पर स्थित है। हिंगलाज माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि, माता के 51 शक्तिपीठ में से सबसे महत्वपूर्ण पीठ यहीं आकर गिरा था। धरती पर मां के पहले स्थान के रूप में हिंगलाज माता के मंदिर को जाना जाता है।
कई बार लूटा गया हिंगलाज माता का मंदिर
इस मंदिर के बारे में 1500 साल पहले घूमने आए चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने कई बातें लिखी हैं। इस मंदिर के बारे में चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि, मोहम्मद बिन कासिम और मोहम्मद गजनी ने मंदिर को कई बार लूटा था। इस मंदिर में रोजाना ‘जय माता दी’ के जयकारे लगते हैं। जयकारा लगाने वालों में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी शामिल होते हैं। इसे हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, जो हिंगलाज क्षेत्र में स्थित है।
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हिंदुओं के साथ मुस्लिम लोग भी करते हैं पूजा
हिंगलाज माता के मंदिर की सबसे खास बात यह है कि, यहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी पूजा-अर्चना करने आते हैं और अपनी शीश झुकाते हैं। इस मंदिर को मुस्लिम लोग ‘नानी का मंदिर’ के नाम से जानते हैं। बताया जाता है कि, मुसलमान किसी प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए मंदिर में आस्था रखते हैं और देवी मां के दर्शन करने आते हैं। मुस्लिम समाज के लोग मंदिर को अपने तीर्थयात्रा का हिस्सा भी मानते है। इसलिए वह इसे ‘नानी का हज’ कहते हैं।
हिंगलाज माता मन्दिर के बारे में ?
बता दें कि, हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं। इस मन्दिर को नानी मन्दिर के नामों से भी जाना जाता । पिछले तीन दशकों में इस जगह ने काफी लोकप्रियता पाई है और यह पाकिस्तान के कई हिंदू समुदायों के बीच आस्था का केन्द्र बन गया है। हिंगलाज माता का गुफा मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में लारी तहसील के दूरस्थ, पहाड़ी इलाके में एक संकीर्ण घाटी में स्थित है। मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। हिंगलाज के आस-पास, गणेश देव, माता काली, गुरुगोरख नाथ दूनी, ब्रह्म कुध, तिर कुण्ड, गुरुनानक खाराओ, रामझरोखा बेठक, चोरसी पर्वत पर अनिल कुंड, चंद्र गोप, खारिवर और अघोर पूजा जैसे कई अन्य पूज्य स्थल हैं। हिंगलाज माता को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो अपने सभी भक्तों के लिए मनोकामना पूर्ण करती है। जबकि हिंगलाज उनका मुख्य मंदिर है, मंदिरों के पड़ोसी भारतीय राज्य गुजरात और राजस्थान में भी उनके लिए समर्पित मंदिर बने हुए हैं। मंदिर को विशेष रूप से संस्कृत में हिंदू शास्त्रों में हिंगुला, हिंगलाजा, हिंगलाजा और हिंगुलता के नाम से जाना जाता है। स्थानीय मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन्होंने मंदिर को “नानी का मंदिर” कहते है।
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