द लीडर : ”हरियाणा के करनाल में किसानों का सिर फुड़वाले वाला ड्यूटी मजिस्ट्रेट, एक मिनट भी नौकरी में रहने लायक नहीं है. उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. सिर किसानों का ही नहीं फूटता. मजिस्ट्रेट का भी फूट सकता है. इसलिए मनोहर लाल खट्टर किसानों से क्षमा मांगें. और उस अफसर को नौकरी से निकालें.” मेघालय के गवर्नर और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे सत्यपाल मलिक ने एक समाचार चैनल से बातचीत में ये बातें कही हैं. (Karnal Magistrate Farmers Malik)
मलिक ने कहा, मैं किसानों के साथ मारपीट के वीडियो देखकर व्यथित हूं. उस अफसर के खिलाफ अब तक कार्रवाई हो जानी चाहिए थी. अगर नहीं हुई तो इससे साफ होता है कि ऊपर के लोगों की शह पर ऐसा कह रहा था.
मुख्यमंत्री खट्टर साहब बुजुर्ग हैं. मैं उनका सम्मान करता हूं. निवेदन करता हूं कि इस महाभारत को न छेड़ें. इस वक्त कोई चुनाव नहीं है. लेकिन वह जानबूझकर सेंसटिव इलाकों में अपनी मीटिंग रख रहे हैं. जैसे करनाल, रोहतक है. उनको पता है कि यहां रिएक्शन होगा. वह-सीएम चाहते हैं कि ये बढ़े.
इसे भी पढ़ें –मुख्यमंत्री खट्टर व भाजपाइयों का विरोध करने पर पुलिस ने किसानों को दौड़ाकर बेरहमी से पीटा, दर्जनों घायल
ऐसा करके वह केंद्रीय नेतृत्व को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. मैं जब भी केंद्रीय नेताओं से मिला हूं. उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना की है कि, दो ही काम मत करना. एक तो किसानों को खाली हाथ मत भेजना. दूसरा, किसानों पर बल प्रयोग मत करना. इसलिए क्योंकि जिस दिन बल प्रयोग करना शुरू कर दोगे, उसका अंत नहीं होगा.
सिर एसडीएम का भी फूट जाएगा .उसके ऊपर बैठे लोगों का भी फूट जाएगा. सीएम को फौरन उस अधिकारी के खिलाफ एक्शन कर, किसानों से क्षमा मांगनी चाहिए. दिल्ली में पीएम या गृहमंत्री ने बल प्रयोग नहीं किया. हरियाणा में बिना मुख्यमंत्री के इशारे के ये नहीं होगा. (Karnal Magistrate Farmers Malik)
ये लोग जो सरकारें चला रहे हैं. चाहें हरियाणा में हो या दिल्ली. असल में ये इन इलाकों का मिजाज नहीं समझते हैं. एक बार लड़ाई शुरू हो गई तो पता नहीं कितनी दूर तक जाएगी.
सत्यपाल मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन की शुरआत से अब तक 600 किसान मर चुके हैं. इन सरकारों की ओर से सहानुभूति का एक शब्द नहीं आया. इन्हें अंदाजा नहीं है कि लोगों में कितना गुस्सा है.
हालात ये हैं कि आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में बीजेपी का कोई नेता घुस नहीं सकता है. हरियाणा और आधे राजस्थान के भी यही हालात हैं. पंजाब में तो आप हैं ही नहीं. क्या आप ये चाहते हैं कि सब मटियामेट हो जाए.
एक सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि मैं जो भी बोलता हूं. हिसाब लगाकर नहीं बोलता. बल्कि दिल से कहता हूूं. मैं समझता हूं कि कल गवर्नर नहीं रहूंगा. लेकिन मैं अपने लोगों के साथ हूं. फिर चाहें उसके जो नतीजे हूं. गवर्नर रहूं या न रहूं. (Karnal Magistrate Farmers Malik)
दरअसल, शनिवार को करनाल में मुख्यमंत्री खट्टर को भाजपा की एक बैठक में हिस्सा लेना था. कृषि कानूनों के विरोध में किसान सीएम का भी विरोध कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ें –Ujjain : ”हमारे गांव से कमाकर कैसे ले जा रहा”-मुस्लिम कबाड़ी को घेकर बुलवाया जयश्रीराम
इसी को लेकर उन्होंने सड़क जाम की थी. जिसको लेकर आइएएस अधिकारी आयुष सिन्हा ने किसानों का सिर फोड़ने का आदेश जारी किया. और पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर किसानों पर लाठियां बरसाईं और उनके सिर फोड़ डाले.
राकेश टिकैत रविवार को करनाल के अस्पताल में घायल किसानों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे तालिबानी सोच के अफसर को नक्सलवादी इलाके में भेज देना चाहिए. (Karnal Magistrate Farmers Malik)