अतीक खान
भगवान श्रीराम, जिनके राज्य को ‘रामराज्य’ कहा जाता है. वो प्रेम-त्याग और करुणा का इतना अथाह सागर है. जिसकी तलहटी तक रत्ती भर भी नफरत, कट्टरता, भेदभाव, छल और सिंहासन के लोभ की गुंजाइश नजर नहीं आती. बल्कि वो मानवता की एक ऐसी जीवंत मिसाल है, जो 130 करोड़ भारतवंशियों को बंधुत्व के बंधन में बांधे हुए है. फिर अन्ना आंदोलन से दिल्ली का सिंहासन लपकने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ‘अपने रामराज्य’ की तुलना ‘श्रीराम के रामराज्य’ से कैसे कर सकते हैं. तब, जब केजरीवाल के रामराज्य में ‘कट्टरता का विष’ फैला होगा, जिसके लिए श्रीराम के राज्य में कोई जगह नहीं थी. (Kapil Mishra Model Aam Aadmi Party Kejriwal Ramrajya)
6 मार्च को केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ की स्थापना को मंजूरी दी. केजरीवाल ने बोर्ड बनाने के तीन प्रमुख लक्ष्य भी गिनाए. पहला, दिल्ली स्कूलों में कट्टर देशभक्त छात्रों की फौज तैयार की जाएगी.
बच्चे नेक इंसान बनें और रटकर पास होने की परीक्षा से मुक्ति मिले. तीन में पहले लक्ष्य-कट्टर देशभक्त पर ठहरकर विचार कीजिए. इस सवाल के साथ, क्या कट्टरता किसी समाज में अच्छे-नेक इंसान बना सकती है?
दिल्ली का नया स्कूल बोर्ड, शिक्षा में सुधार के एक बहुत बड़े सपने को पूरा करने का आधार बनेगा.
इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर बच्चा अच्छा नागरिक बने, कट्टर देशभक्त बनकर देश की ज़िम्मेदारी ले और अच्छा इंसान बने. यह बोर्ड शिक्षा को 'रटकर पास होने की परीक्षा' से मुक्त करेगा. https://t.co/zSjs0Ag1LW— Manish Sisodia (@msisodia) March 6, 2021
चूंकि 10 मार्च को अरविंद केजरीवाल ने रामराज्य की अवधारणा पर चलने की बात कही है. इसलिए ये सवाल और भी वाजिब हो जाता है कि रामराज्य में कट्टरता का कोई स्थान हो सकता है? केजरीवाल ने बड़ी चतुराई के साथ कट्टरता को देशभक्ति के साथ जोड़ दिया है.
जिस पर विपक्ष भी सवाल उठाने का दम नहीं दिखा सकता. लेकिन जब रामराज्य और लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कट्टरता का सवाल उठता है, तो नीयत परखना जरूरी हो जाता है. (Kapil Mishra Model Aam Aadmi Party Kejriwal Ramrajya)
The @AamAadmiParty which has been ruling in #Delhi for the last six years said the party has led the government in the concept of Ram Rajya. #AAP national head & Delhi CM #ArvindKejriwal made this statement while addressing the post budget session of Delhi Assembly on Wednesday. pic.twitter.com/qpJZ9Ol0rO
— IANS (@ians_india) March 10, 2021
यहां केजरीवाल सरकार की नीयत में खोट है. वो अपने राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा के राष्ट्रवाद की काट में कट्टर देशभक्ति की शिक्षा लेकर आ रही है. भाजपा से होड़ में ही वो रामराज्य की अवधारणा का दांव लाई है.
साल 2011 का अन्ना हजारे अांदोलन, जिसने कांग्रेस को गर्त में ढकेल दिया. केजरीवाल उसी आंदोलन से निकलकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं.
मुख्यमंत्री बनने के बाद कई बड़ी शख्सियतें केजरीवाल से छिटककर दूर हो चुकी हैं, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कवि कुमार विश्वास समेत अन्य कई बड़े नाम शामिल हैं. केजरीवाल पर पार्टी पर एकाधिकार के आरोप भी लगते रहे हैं.
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2013 से केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. और इसमें कोई संदेह नहीं कि उन्होंने सरकारी शिक्षा व्यवस्था में काबिलेतारीफ काम किया है. केजरीवाल के कहेनुसार 25 प्रतिशत बजट सरकारी स्कूलों की शिक्षा का कायाकल्प करने पर खर्च किया है.
जाहिर है कि स्कूलों की सूरत बदली है. इन्हीं स्कूलों के बच्चों ने मेडिकल, इंजीनियरिंग की बड़ी परीक्षाओं में सफलता पाई है. (Kapil Mishra Model Aam Aadmi Party Kejriwal Ramrajya)
फिर आखिर अचानक केजरीवाल ने कैसे ये जांच लिया कि दिल्ली स्कूलों के छात्रों में देशभक्ति की कमी है. क्या केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ऐसा कोई सर्वे कराया है, जिससे ये सामने आया हो कि दिल्लीवासी देश के दूसरे राज्यों की तुलना में कम देशभक्त हैं. इसलिए उनके बच्चों को कट्टर देशभक्ति की डोज देना जरूरी हो गया है.
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भाजपा नेता कपिल मिश्रा, जो पहले आम आदमी पार्टी से विधायक चुने गए थे. बाद में पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. फरवरी 2020 में दिल्ली दंगें भड़काने में उनकी भूमिका सामने आई थी. कुछ वीडियों में वे लगातार भड़काऊ बातें करते सुने गए थे. क्या केजरीवाल अपने पुराने सहयोगी कपिल मिश्रा जैसे कट्टर देशभक्त तैयार करना चाहते हैं. (Kapil Mishra Model Aam Aadmi Party Kejriwal Ramrajya)
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)