जस्टिस उदय उमेश ललित बनेंगे देश के 49वें CJI : जानिए उनके ऐतिहासिक फैसले ?

द लीडर। देश को जल्द ही नए सीजेआई मिल सकते हैं। क्योंकि भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एन वी रमणा 26 अगस्त को रिटायर्र होंगे वाले हैं। वहीं अपने उत्तराधिकारी के रूप में अगले सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित होंगे। जस्टिस उदय उमेश ललित देश के 49वें CJI होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है। 27 अगस्त को शपथ लेने वाले जस्टिस ललित का चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल 8 नवंबर तक होगा। इस समय जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं।


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कौन हैं जस्टिस यू यू ललित

जस्टिस यू यू ललित का पूरा नाम उदय उमेश ललित है। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। जस्टिस ललित महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। उनका जन्म 9 नवंबर 1957 में हुआ था, वह महाराष्ट्र हाई कोर्ट के फेमस वकील थे, 1983 से उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की थी, दिसम्बर 1985 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की थी।

उसके बाद दिल्ली आ गए इसके बाद 1986 से साल 1992 तक पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम किए। अप्रैल 2004 में वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने और फिर कई अहम पदों पर रहे। वर्ष 2014 में 13 अगस्त को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने थे

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल 8 नवंबर, 2022 तक रहेगा। सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाले जस्टिस ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे, जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाई कोर्ट के जज नहीं थे। बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे थे। उनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी।

कैसा रहा है करियर ?

◾ जस्टिस ललित जून 1983 में बार में शामिल हुए और 1986 से शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस कर रहे हैं।
◾ जस्टिस ललित ने 1986 से 1992 तक पूर्व अटॉर्नी-जनरल, सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया।
◾ 09 नवंबर 1957 को जन्‍मे जस्टिस ललित जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकित हैं।
◾ जस्टिस ललित अप्रैल 2004 में वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किए गए।
◾ वह दो कार्यकालों के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी सेवा समिति के सदस्य बने।
◾ इसके साथ ही 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए।

अमित शाह से लेकर सलमान खान तक की पैरवी

◾ जस्टिस यूयू ललित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह का पक्ष रख चुके हैं।
◾ भ्रष्टाचार मामले में वो पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी पैरवी कर चुके हैं।
◾ जस्टिस यूयू ललित काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान की पैरवी कर चुके हैं।
◾ इसके अलावा पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह की भी जन्मतिथि केस में भी वे पैरवी कर चुके हैं।

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जस्टिस यूयू ललित देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते हैं। जस्टिस ललित ने तीन तलाक समेत कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। जस्टिस ललित का कार्यकाल 3 महीने से भी कम का होगा। इसी साल नवंबर में रिटायर हो जाएंगे।

जस्टिस यूयू ललित के ऐतिहासिक फैसले

तीन तलाक मामला

जस्टिस यूयू ललित अब तक के अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले सुनाने वाली संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे हैं। इसमें तत्काल ‘तीन तलाक’ मामला भी शामिल है। पांच जजों की बेंच में 3-2 के बहुमत से इस पर फैसला हुआ था। इसमें जस्टिस ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रबंधन

केरल के ऐतिहासिक श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले में भी जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया था। उन्होंने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था।

पॉक्सो से जुड़ा मामला

जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया था। इसके तहत किसी बच्चे के अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़े कार्य को पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के तहत ‘यौन हमला’ माना जाता है।

SC/ST एक्ट पर फैसला

अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी न करने का आदेश भी जस्टिस ललित की सदस्यता वाली बेंच ने दिया था। कोर्ट ने इस एक्ट के तहत आने वाली शिकायतों पर शुरुआती जांच के बाद ही मामला दर्ज करने का भी आदेश दिया था। हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने कानून में बदलाव कर तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान को दोबारा बहाल कर दिया था।

राजद्रोह कानून पर नोटिस जारी किया

30 अप्रैल 2021 को जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजद्रोह के मामले में लगने वाली आईपीसी की धारा 124A की वैधता पर केंद्र को नोटिस जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने मणिपुर के पत्रकार किशोरचन्द्र वांगखेमचा और छत्तीसगढ़ के पत्रकार कन्हैयालाल शुक्ला की याचिका सुनने पर सहमति दी।

विजय माल्या को दी सज़ा

हाल ही में जस्टिस ललित ने अवमानना के मामले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सज़ा दी। कोर्ट ने माल्या पर 2 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया। यह भी कहा कि जुर्माना न चुकाने पर 2 महीने की अतिरिक्त जेल काटनी होगी।

आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को राहत

जस्टिस ललित उस बेंच में भी रहे जिसने 2019 में आम्रपाली के करीब 42,000 फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी थी। तब कोर्ट ने आदेश दिया था कि, आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को अब नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन यानी NBCC पूरा करेगा। कोर्ट ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले आम्रपाली ग्रुप की सभी बिल्डिंग कंपनियों का RERA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। साथ ही, निवेशकों के पैसे के गबन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का भी आदेश दिया।

अयोध्या केस से खुद को किया था अलग

10 जनवरी 2019 को जस्टिस यू यू ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से खुद को अलग किया था। पीठ में CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमणा और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे। उन्होंने इस बात को आधार बनाया था कि, करीब 2 दशक पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए वकील के रूप में पेश हो चुके हैं।

मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश एडवोकेट राजीव धवन ने पीठ से कहा कि जस्टिस यूयू ललित 1997 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन CM कल्याण सिंह की ओर से बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मामले में पेश हुए थे। धवन की इस टिप्पणी के बाद जस्टिस ललित ने 10 जनवरी 2019 को खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था।


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indra yadav

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