जमीयत उलमा-ए-हिंद की बुजुर्ग शख्सियत मौलाना सय्यद मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का इंतकाल

द लीडर : जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और कुलाधिसचिव मौलाना सय्यद मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का शुक्रवार को इंतकाल (निधन) हो गया. कोरोना संक्रमित होने के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके इंतकाल की खबर लगते ही जमीयत के साथ देश भर के मुसलमानों में गम छा गया. लोगों ने उनके मगफिरत की दुआएं की हैं.

मौलाना सय्यद मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी विश्व विख्यात मुस्लिम स्कॉलर थे. इसके साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता के भी बड़े पैरोकार थे. उन्होंने समाज में एकजुटता खासतौर से हिंदू-मुसलमानों के बीच भाईचारा बढ़ाने के मकसद से सद्भावना मंच बनाया था. इसके अंतर्गत पूरे साल देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं. और जमीयत के सदस्य गांव-शहर और कस्बों में जाकर हिंदू-मुस्लिम समाज के साथ संवाद स्थापित करते हैं.

1944 में जन्में मौलाना अपनी पूरी जिंदगी शिक्षण कार्यों में बिताई है. दारूल उलूम देवबंद में वह वरिष्ठ शिक्षक थे. ये मौलाना उस्मान मंसूरपुरी ही हैं, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ न सिर्फ फतवा जारी किया था. बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अभियानों का निर्देशन भी कि या था.


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जमीयत ने मौलाना को हिंदू-मुस्लिम एकता के चैंपियन के रूप में याद किया है. एक बयान में कहा कि मौलाना ने हिंदू-मुस्लिम दोनों समाज के स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को साथ जोड़कर सामाजिक एकता का अभियान चलाया. जमीयत उलमा-ए-हिंद के बैनर तले उनका संगठन सद्भावना मंच इस कार्य में जुटा रहा. वह हमेशा सामाजिक भाईचारे के पक्षधर रहे.

 

Ateeq Khan

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